

होली का त्योहार नजदीक आ रहा है और बाजारों में होली की रौनक दिखने लगी हैं. खासकर जयपुर में होली का त्योहार शाही अंदाज में मनाया जाता है. बाजारों में रंगों की डिमांड के साथ यहां ‘गुलाल गोटा’ की भी डिमांड खूब रहती हैं. जयपुर के चारदीवारी बाजार के मनिहारों के रास्तों में खास कर गुलाल गोटा तैयार किया जाता है.
गुलाल गोटा से होली खेलने की शुरुआत राजा महाराजाओं के समय से हुई थी और तब से ही गुलाल गोटा से शाही होली खेलने का रिवाज है. गुलाल गोटा खासतौर पर जयपुर में मुस्लिम समुदाय के लोग तैयार करते हैं. वे यह काम सात पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. जयपुर में तैयार होने वाले इस गुलाल गोटा की डिमांड मथुरा-वृंदावन से लेकर ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और इंग्लैंड तक रहती हैं. खासकर विदेशी पर्यटक गुलाल गोटा को खूब पसंद करते हैं.
लाख से बनाया जाता है गुलाल गोटा
सात पीढ़ियों से चली आ रही यह अनूठी कला इस क्षेत्र की सांस्कृतिक संरचना में एक विशेष स्थान रखती है. इस लुप्त होती कला के संरक्षक, कारीगर आवाज़ मोहम्मद बताते हैं, "गुलाल गोटा प्राकृतिक लाख के गोले से बनाया जाता है, जिसका वजन 5-6 ग्राम होता है, फिर उसमें प्राकृतिक रंग भरे जाते हैं और 'अरारोट' से सील कर दिया जाता है, जिससे गोटा का कुल वजन 21-22 ग्राम हो जाता है."
उन्होंने कहा, "पारंपरिक रूप से राजपरिवार के लिए बनाया जाने वाला यह शिल्प सात पीढ़ियों से चला आ रहा है और हर साल गुलाल गोटा की पहली खेप वृंदावन भेजी जाती है." इस शिल्प का महत्व राजस्थान की सीमाओं से परे भी फैला हुआ है। यह भारत के इतिहास में गहराई से निहित है, जो पांडवों और कौरवों के युग से जुड़ा हुआ है.
महाभारत से जुड़ी हैं लाख की जड़ें
आवाज़ मोहम्मद ने कहा कि यह एक लुप्त होती कला है. लाख के काम के पीछे एक प्राचीन प्रथा है जो कौरवों द्वारा लाक्षागृह बनाने के समय से चली आ रही है. यह परिवार भी सदियों से राजपरिवार के लिए गुलाल गोटा बना रहा है. आपको बता दें कि इस साल होली 14 मार्च को मनाई जाएगी. इससे एक दिन पहले होलिका दहन होगा. उल्लास के बीच, पारंपरिक मिठाइयां बांटी जाती हैं, जिससे समुदायों के बीच एकजुटता की भावना बढ़ती है. होली वास्तव में आनंद और प्रेम की भावना को समेटे हुए है.
ऐसे बनता है 2 ग्राम का गुलाल गोटा
गुलाल गोटा विशेष रूप से लाख से तैयार किया जाता है. गुलाल गोटा बनाने के लिए लाख को आग में पिघलाया जाता है. 2-3 ग्राम लाख की छोटी-छोटी गोलियों को एक बांसुरी नुमा नली में लगाकर फूंक मारते हुए गोल घुमाया जाता है. फिर धीरे-धीरे यह गुब्बारे की तरह फूल जाता है. उसके बाद फिर धीरे से इसको नलकी में से बाहर निकालकर पानी भरे हुए बर्तन में रख दिया जाता है.
गुब्बारे नुमा आकार तैयार होने के बाद फिर इसमें प्राकृतिक सुगंधित गुलाल भरा जाता है. यह गुलाल अरारोट का बना होता है. यह हर्बल होता है. फिर इस पर कागज चिपका कर पैक कर दिया जाता है. तैयार गुलाल गोटा 15 ग्राम का होता है और इनकी कागज की तरह पतली परत होती है. गुलाल गोटा ईको फ्रेंडली है इसलिए लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं.
वर्षों से गुलाल गोटा तैयार कर रहे आवाज़ मोहम्मद बताते हैं कि होली खेलने के सबसे शानदार गुलाल गोटा हैं जो बिल्कुल हल्का होता है. जिसे होली खेलते समय किसी पर फेंक कर मारा जाता है. यह मारते ही फूट जाता है और इसमें से कलर निकलता है. जयपुर में होली से 6 महीने पहले से ही गुलाल गोटा बनना तैयार हो जाता है. सबसे पहले तैयार किए गए गुलाल गोते वृंदावन में श्री कृष्ण को अर्पित किए जाते है.