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Parenting in Relationship: जब प्यार-प्यार में आपका पार्टनर करने लग जाए पेरेंटिफिकेशन...जानिए क्या है ये और कैसे रिश्ते को पहुंचाता है नुकसान

एक हेल्दी रिलेशनशिप के लिए जरूरी है कि रिश्ते में मौजूद दोनों पार्टनर मैच्योर एडल्ट की तरह व्यवहार करें. ऐसे में जब एक पार्टनर एक्टिव होकर दूसरे पर कंट्रोल करने लगता है दूसरे को इन चीजों की वजह से सेल्फ डाउट और लो कॉन्फिडेंस महसूस होता है इसे पेरेंटिफिकेशन कहते हैं.

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क्या आप अक्सर अपने पार्टनर को जल्दी उठने, जिम जाने, स्मार्ट कपड़े पहनने या काम में बेहतर प्रदर्शन करने जैसी चीजों के लिए टोकते या उकसाते हैं? अगर इसका जवाब हां है तो हो सकता है कि आप जाने-अनजाने अपने पार्टनर की पेरेंटिंग कर रहे हैं. इस व्यवहार में आपको यह बताना भी शामिल हो सकता है कि आपके साथी को क्या खाना चाहिए और उन्हें अपने दिन की योजना कैसे बनानी चाहिए?

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एक रिलेशनशिप में ये जरूर होता है कि दोनों को एक-दूसरे की केयर हो, वो एक-दूसरे को समझें और एक-दूसरे का सम्मान करें. लेकिन पेरेंट बनकर दूसरे को पालने लगना या कंट्रोल करने लगना दरअसल रिश्ते के खराब होने की रेसिपी है. विशेषज्ञों कहते हैं कि इस व्यवहार से आपके रिश्ते को फायदा होने के बजाए नुकसान पहुंचा सकता है. इतना ही, शायद यही कारण है कि आप पहले की तरह सामने वाले को प्यार नहीं कर रहे हैं. इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि आप खुद से संतुष्ट नहीं हैं.

क्या है पेरेंटिफिकेशन?
अपने पार्टनर की पेरेंटिंग करना रिश्ते में उस व्यवहार की बात करता है जहां कोई व्यक्ति (आपका पार्टनर) आपके माता-पिता या देखभाल करने वाले के समान भूमिका निभाता है. आसान भाषा में कहें तो मतलब की सामने वाला आप पर कंट्रोल करने लगता है और फिर  वही आपकी समस्याएं हल करेगा, आपके लिए निर्णय लेगा और आपसे स्वतंत्र रूप से काम करने की उनकी स्वायत्तता छीन लेगा. ये अक्सर उन लोगों में देखने को मिलता है जिनका बचपन बहुत खुशनुमा न बीता हो, जिनको किसी कारणवश समय से पहले मैच्योर होना पड़ा हो, ऐसे लोगों में पेरेंटिफिकेशन डिसऑर्डर होने का खतरा अधिक होता है.

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पेरेंटिंग को दो भागों में बांटा जा सकता है - पहली टिपिकल या पॉजिटिव पेरेंटिंग दूसरी नेगेटिव पेरेंटिंग. पहली वो है जहां आपका पार्टनर अपने साथी के रोज के कामों में उसका हाथ बंटाता है. यहां, एक व्यक्ति वास्तव में जीवन में अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन करने में मदद करने के लिए अपने पार्टनर की जिम्मेदारी लेता है. यह सकारात्मक हो सकता है. वहीं नेगेटिव पेरेंटिंग वह हैं जहां आपका पार्टनर ये सब च्वाइस से नहीं करता. यह एक तरीके का सेल्फ डाउट पैदा करता है जब लगातार आपका कोई साथी आपसे यह कहें कि, 'आपको यही खाना चाहिए', 'आपको इसी तरह चलना चाहिए', 'यह वही ब्रांड है जो आपको पहनना चाहिए', 'यह मेकअप अप-टू-डेट नहीं है' और 'आप वाइन क्यों नहीं पीते आदि.

आसान भाषा में समझे तो जब रोमांटिक या वैवाहिक रिश्ते में कोई पार्टनर एक्टिव मैच्योर और दूसरा पैसिव इमैच्योर की भूमिका निभाने लगे तो उस स्थिति को रिलेशनशिप पेरेंटिफिकेशन कहते हैं. इस स्थिति में रोमांटिक रिश्ता पेरेंट और बच्चे की तरह हो जाता है. 

पेरेंटिफिकेशन की निशानी

  • पार्टनर को हर चीज में सही गलत की सीख देना
  • जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्टिव होना या पैंपरिंग करना.
  • पार्टनर को खुद कोई फैसला न लेने देना. यह मानना कि वह इस काबिल नहीं है.

पेरेंटिंग के साइट इफेक्ट्स
-रिश्ते में विश्वास तोड़ता है.
-साझेदारों के बीच निराशा और नाराजगी पैदा होती है.
-फिजिकल इंटिमेसी खत्म होने लगती है.
-सेल्फ- डाउट और आइडेंटिटी क्राइसेस पैदा होने लगता है.
-पार्टनर को अंडरकॉन्फिडेंट महसूस कराता है.
-साथी का विकास उनकी यूनीकनेस को स्वीकार करने के बजाय साथी को बदलने पर ध्यान केंद्रित करने से अवरुद्ध हो जाता है
-साझेदारों के बीच मनमुटाव पैदा करता है, बहस और चिड़चिड़ापन पैदा करता है.