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Success Story: ठेले पर आइसक्रीम बेचने वाले आरजी चंद्रमोगन जिनकी कभी 65 रुपये थी सैलरी...मात्र 13000 से शुरू किया था बिजनेस, आज करोड़ों के हैं मालिक

आज हमारे बीच कई ऐसी कहानियां मौजूद हैं जिन्होंने बिना किसी बड़ी डिग्री और बैकअप होने के बावजूद बिजनेस के क्षेत्र में झंडे गाड़ दिए हों. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं हटसन एग्रो प्रोडक्ट के मालिक आरजी चंद्रमोगन. उन्हें एक लकड़ी मिल में नौकरी मिली थी, जहां उन्हें सैलरी के तौर पर 65 रुपये मिलते थे. इसके बाद उन्होंने अपने दम पर जो किया वो उनकी सफलता की कहानी है...

Arun Icecream Arun Icecream

जब आपके सपने बड़े हो तो उसके आगे हर परेशानी या दिक्कत छोटी लगने लगती है. अपने करियर की शुरुआत बहुत ही निचले स्तर से करने वाले ऐसे कई लोगों की कहानियां हमारे बीच मशहूर हैं. जो आज बिना किसी डिग्री के भारत और विदेशों में कुछ अग्रणी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताएंगे जिनकी कंपनी का टर्नओवर आज करोड़ो में है. इनका नाम है आरजी चंद्रमोगन. उन्होंने 1970 में आइसक्रीम बनाने का एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया और अब इसे 25,527 करोड़ रुपये की कंपनी में बदल दिया है. वह भारत की प्रमुख निजी डेयरी कंपनियों में से एक हैटसन एग्रो प्रोडक्ट (Hatsun Agro Product)के मालिक हैं. अरुण आइसक्रीम्स (Arun Icecreams)इन्हीं के अंदर आती है.

हटसन एग्रो प्रोडक्ट के मालिक आरजी चंद्रमोगन को परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी. पढ़ाई छोड़कर उन्होंने एक लकड़ी मिल में नौकरी कर ली, जहां उन्हें सैलरी के तौर पर 65 रुपये मिल जाते थे.

किस लिए जानी जाती है कंपनी
उनकी कंपनी के आइसक्रीम, दूध और दही के लिए जानी जाती है. मशहूर ब्रांड अरुण, अरोक्या और हैटसन इसी के अंदर आते हैं. कंपनी 42 देशों में डेयरी सामग्री का निर्यात भी करती है. उनकी पहली आइसक्रीम पुशकार्ट पर बेची गई थी. तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में जन्मे चंद्रमोगन को इंडियन डेयरी एसोसिएशन से 2018 में प्रतिष्ठित संरक्षण पुरस्कार मिला है.

कौन हैं आरजी चंद्रमोगन
आरजी चंद्रमोगन का जन्म पटाखा शहर कहे जाने वाले शिवकाशी के पास हुआ था. माचिस की डिब्बियों के लिए जाने जाने के बावजूद उनका जीवन अंधकार में था. उनके पिता एक छोटा प्रोविजनल स्टोर नहीं चला सकते थे. चंद्रमोगन अपने पसंदीदा विषय गणित में भी फेल हो गए. सबकुछ यूं ही खोता हुआ नजर आ रहा था और चंद्रमोगन कुछ अलग करना चाहते थे. उन्होंने 21 साल की उम्र में अपनी पैतृक संपत्ति 13,000 रुपये में बेच दी. उनके दिमाग में आइडिया तो था ही. वह आइस कैंडी का व्यवसाय शुरू करना चाहते थे. चंद्रमोगन ने चेन्नई के रॉयपुरम में 250 वर्ग फुट की जगह किराए पर ली. वह ब्रांड का नाम सूर्य की किरणों के तमिल शब्द अरुणोदयम पर रखना चाहते थे. यही से 1970 में अरुण का जन्म हुआ. आइसक्रीम बेचने के लिए वो खुद ठेला लेकर निकल जाते थे. धीरे-धीरे लोगों को उनके आइसक्रीम का स्वाद पसंद आने लगा. आइडिया बहुत ही सिंपल था. कॉलेज के छात्रों को पुशकार्ट के माध्यम से स्टिक और कप आइस कैंडी बेचना. ऐसा करने के लिए अरुण के पास तीन कर्मचारी, छह तिपहिया साइकिलें और 15 पुशकार्ट थे. यह आइडिया जबरदस्त हिट हुआ और ब्रांड ने पहले साल में 1.5 लाख का राजस्व हासिल किया.

कैसे हुई अरुण आइसक्रीम की शुरुआत
उन्होंने अपने घर को ही फैक्ट्री में बदल लिया. दिन के दौरान फैक्ट्री में 10,000 कैंडी का उत्पादन होता था और रात में वो चंद्रमोगन का शयनकक्ष बन जाती थी. सफलता को देखते हुए, उन्होंने तेजी से शिप चांडलरों तक विस्तार किया जो नियमित रूप से जहाजों को खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करते थे. साल 1974 तक, 95% कॉलेज कैंटीन और शिप चांडलर बाज़ार अरुण का उपयोग करते थे. साल 1981 तक, अरुण की बिक्री 4.25 लाख हो गई थी. कारोबार बढ़िया था लेकिन मौसमी था. उनका बाजार बहुत ही सीमित था क्योंकि वो सिर्फ छात्रों पर फोकस कर रहे थे. चंद्रमोगन को पता था कि अगर उन्हें बाज़ार का आकार बढ़ाना है तो उन्हें आइसक्रीम और डेयरी का विस्तार करना होगा. साल 1981 में अरुण आइसक्रीम की शुरुआत हुई.

सबसे बड़ा विक्रेता
वह दूध से बनी आइसक्रीम बेचना चाहते थे. लेकिन यह कोई आसान उपलब्धि नहीं थी. साल 1980 के दशक में दासप्रकाश, एचयूएल की क्वालिटी वॉल्स और जॉय दक्षिण भारत पर राज करते थी. तमिलनाडु में ही 3500 आइसक्रीम ब्रांड थे. उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. उन्होंने आइसक्रीम को चावल के साथ पैक किया और ट्रेनों में रख दिया. फिर, तमिलनाडु के ग्रामीण हिस्सों में आइसक्रीम पार्लरों में बिक्री हुई. इस रणनीति ने उन्हें कोल्ड स्टोरेज और वितरण में काफी पैसा बचाया. 1985 तक, अरुण तमिलनाडु में मात्रा के हिसाब से सबसे बड़े आइसक्रीम विक्रेता बन गए.

1995 तक, इसका विस्तार केरल और आंध्र प्रदेश तक हो गया, जिससे यह 700 आउटलेट के साथ दक्षिण भारत में सबसे बड़ा बन गया. चंद्रमोगन ने लिक्विड मिल्क मार्केटिंग (अरोक्या) में भी विविधता लानी शुरू कर दी. 2001 तक, अरुण और अरोक्या 100 करोड़ का व्यवसाय बन गए थे. उन्होंने "इबाको" के तहत प्रीमियम आइसक्रीम पार्लर खोले, जो ग्राहकों के लिए अनलिमिटेड स्कूप की पेशकश करते थे.

आज, Hatsun 7200 CR से अधिक राजस्व के साथ भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी है. इसका 12,000 गांवों में लगभग 10,500 दूध बैंक, 50,000 कर्मचारी और 14 संयंत्रों का नेटवर्क है. यह प्रतिदिन 60,000 लीटर की आइसक्रीम बनाती है.