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Who Is Sonam Wangchuk: कौन हैं सोनम वांगचुक? जो 15 दिनों से कर रहे भूख हड़ताल, क्या है उनकी मांगें?

आपने आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट्स को देखी ही होगी. कहा जाता है आमिर खान का किरदार फुंसुक वांगड़ू सोनम वांगचुक पर ही आधारित था. सोनम एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं. साथ ही हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के निदेशक भी हैं.

Sonam Wangchuk/Facebook Sonam Wangchuk/Facebook
हाइलाइट्स
  • क्या है Sonam Wangchuk की मांगें

  • सोनम वांगचुक को असली फुंसुक वांगड़ू कहा जाता है.

शून्य से नीचे तापमान में सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने 6 मार्च को अपना 'जलवायु उपवास' (climate fast) शुरू किया था. इस बात को पूरे 15 दिन हो चुके हैं और वांगचुक का उपवास अभी भी जारी है. सोनम वांगचुक ने मंगलवार को कहा कि दूसरे आंदोलनकारियों के साथ मिलकर वो बाहरी दुनिया को "जमीनी हकीकत" को उजागर करने के लिए जल्द ही सीमा मार्च करने वाले हैं. उनका कहना है कि लद्दाख (Ladakh) के लोग नाराज हैं और चाहते हैं कि केंद्र सरकार अपने वादे निभाए. इधर, कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) ने बुधवार, 20 मार्च को आधे दिन की हड़ताल बुलाई है.

कौन हैं सोनम वांगचुक

आपने आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट्स को देखी ही होगी. कहा जाता है आमिर खान का किरदार फुंसुक वांगड़ू सोनम वांगचुक पर ही आधारित था. सोनम एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं. साथ ही हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के निदेशक भी हैं. अब वे शिक्षाविद और पर्यावरणविद की भूमिका में भी हैं. उन्होंने लद्दाख के लिए कई आविष्कार किए हैं. सोनम ने लद्दाख में सिंचाई के लिए एक आर्टिफिशियल ग्लेशियर भी तैयार किया है. सोनम ने पिछले साल भी अनशन पर बैठे थे. उन्हें साल 2018 में मैगसेसे पुरस्कार मिल चुका है. उन्होंने 1988 में लद्दाखी बच्चों और युवाओं का समर्थन करने और उन छात्रों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से SECMOL की स्थापना की थी.

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सोनम वांगचुक/Facebook

क्या हैं Sonam Wangchuk की डिमांड

वांगचुक लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल में से प्रत्येक के लिए एक संसदीय सीट और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर पिछले 14 दिनों से लेह में शून्य से नीचे के तापमान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं. शून्य से नीचे तापमान के बावजूद उनके प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है.

लद्दाख के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार

वांगचुक ने ये भी कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण लोकतंत्र मिलने की संभावना है, लेकिन लद्दाख को दिल्ली से नियंत्रित नौकरशाही के अधीन छोड़ दिया जाएगा. उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, “सरकार भारत को 'लोकतंत्र की जननी' कहना पसंद करती है लेकिन अगर भारत लद्दाख के लोगों को लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करता है और इसे नौकरशाहों के अधीन रखना जारी रखता है तो इसे सौतेला व्यवहार कहा जाएगा. उन्होंने बड़े पैमाने पर लोगों से इस अनशन से जुड़ने की बात कही है. उन्होंने कहा, "24 मार्च को अगर संभव हो तो मैं दुनिया भर के लोगों से अपने शहरों में छोटी सभाएं आयोजित करने और उपवास करने का आग्रह करूंगा.