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‘जो भी तगादा करेगा, वही मेरी मौत का जिम्मेदार होगा’... व्यापारी का Suicide Note, कर्ज में डूबे पिता की इस आखिरी चिट्ठी ने सबको झकझोर दिया

आगरा के हींग मंडी में करोड़ों का लेन-देन ‘पर्ची सिस्टम’ पर होता है. व्यापारियों को उधार में माल मिलता है, जिसके बदले पर्ची बनती है. यह पर्ची ब्याज के साथ आगे बेची जाती है. जब तक पेमेंट पूरा नहीं होता, ब्याज बढ़ता जाता है, जिससे कई व्यापारी भारी कर्ज में डूब जाते हैं.

कर्ज में डूबे व्यापारी की आत्महत्या (प्रतीकात्मक तस्वीर) कर्ज में डूबे व्यापारी की आत्महत्या (प्रतीकात्मक तस्वीर)
हाइलाइट्स
  • बेटे शुभम का ध्यान रखना

  • कर्ज में डूबे पिता की आखिरी चिट्ठी

आगरा के मशहूर जूता व्यापारी ने कर्ज से परेशान होकर ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी. उनकी स्कूटी की डिक्की से मिला सुसाइड नोट इस दर्दनाक घटना की पूरी कहानी बयां करता है. इसमें उन्होंने लिखा, "मैं कर्ज से बुरी तरह परेशान हूं, जो भी मेरे घर आकर तगादा करेगा, वही मेरी मौत का जिम्मेदार होगा!"

कैसे हुआ यह दिल दहला देने वाला हादसा?
रविवार को सिकंदरा के सेक्टर-16 में रेलवे ट्रैक पर व्यापारी घनश्याम दास तनवानी (55) का शव बरामद हुआ. उन्होंने आत्महत्या से पहले अपनी स्कूटी भांजे की दुकान पर खड़ी की और कहा कि वह शेविंग कराने जा रहे हैं. जब कई घंटे बाद भी वह वापस नहीं लौटे, तो परिजनों को चिंता हुई.

इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई, और फिर सिकंदरा रेलवे लाइन पर एक अज्ञात शव मिलने की खबर आई. मौके पर पहुंचे परिजनों ने शव की पहचान घनश्याम दास के रूप में की.

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सुसाइड नोट में लिखा- बेटे शुभम का ध्यान रखना
घनश्याम दास ने सुसाइड नोट में अपनी आर्थिक तंगी और कर्ज का जिक्र किया. उन्होंने लिखा कि उनका व्यापार लगातार नुकसान में जा रहा था और वह पर्ची सिस्टम के कर्ज में फंस गए थे. घनश्याम दास लिखते हैं, "पिछले तीन साल से पेमेंट लेट आ रही है, ब्याज भरते-भरते हालात बिगड़ चुके हैं. व्यापार में सुधार की उम्मीद थी, लेकिन अब संभलना मुश्किल हो गया है."

उन्होंने अपने बेटे शुभम की चिंता जताते हुए अपने जानने वालों से कहा कि कोई भी फाइनेंसर या लेनदार उनके परिवार को परेशान न करे.

क्या है ‘पर्ची सिस्टम’, जिसमें फंसकर बर्बाद हो गए घनश्याम?
आगरा के हींग मंडी में करोड़ों का लेन-देन ‘पर्ची सिस्टम’ पर होता है. व्यापारियों को उधार में माल मिलता है, जिसके बदले पर्ची बनती है. यह पर्ची ब्याज के साथ आगे बेची जाती है. जब तक पेमेंट पूरा नहीं होता, ब्याज बढ़ता जाता है, जिससे कई व्यापारी भारी कर्ज में डूब जाते हैं. अपने सुसाइड नोट में घनश्याम दास ने अपने कुछ करीबियों से बेटे शुभम का ध्यान रखने की अपील की और सबसे माफी मांगी.