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दांत का कोई काम नहीं फिर भी डिवाइस का नाम क्यों पड़ा Bluetooth, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

ब्लूटूथ से आज हर कोई वाकिफ है। चाहे आप घर में हों या कार में या ऑफिस में, कभी न कभी ब्लूटूथ की जरूरत आपको भी पड़ी होगी.ब्लूटूथ का दांतों से कोई संबंध नहीं है, लेकिन फिर भी इसे ब्लू टूथ कहा जाता है.

Bluetooth Bluetooth

आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए हमने कई चीजों को अपने सामने बदलते देखा है. किसी समय हम इन चीजों की कल्पना भी नहीं कर सकते थे मगर आज वो हमारे सामने हैं. इन सबके पीछे कोई ना कोई कहानी और वजह जरूर होती है. पहले कभी जिस फोन को सिर्फ एक दूसरे से बात करने के लिए लाया गया था आज ना जाने उससे फोटो खींचने, डेटा ट्रांसफर करने जैसे अनगिनत काम किए जा रहे हैं. ये हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं.

वहीं उत्पत्ति हुई एक तकनीक की जो हमें एक फोन से दूसरे फोन या फिर किसी कंप्यूटर-लैपटॉप में डाटा ट्रांसफर करने में मदद करता है. ब्‍लूटूथ डेटा ट्रांसफर की एक पुरानी तकनीक है, अब इंटरनेट के जमाने में इसका इस्‍तेमाल न के बराबर रह गया है. हालांकि अब कई ऐसी तकनीक हैं जो ब्लूटूथ से कई ज्यादा आगे हैं. मगर अभी भी गाने सुनने के लिए आपको अपना हेडफोन ब्लूटूथ से ही कनेक्ट करना पड़ता है. क्या आपके दिमाग में कभी इस बात का ख्याल आया कि जब इस शब्द का दांत से कोई मतलब नहीं है फिर इसका नाम ब्लूटूथ क्यों पड़ा?

कैसे पड़ा Bluetooth नाम
आपको बता दें कि ब्लूटूथ का नाम किसी तकनीक से जुड़े काम की वजह से नहीं, बल्कि एक राजा के नाम पर रखा गया है. हालांकि कुछ रिपोर्ट ये भी कहती हैं कि ब्लूटूथ के नाम के पीछे नीला दांत भी जुड़ा हुआ है. जिसका संबंध यूरोपियाई देश से है. ये राजा मध्ययुगीन स्कैंडिनेवियाई का राजा था, जिसका नाम था Harald Gormsson. उन दिनों नॉर्वे, डेनमार्क और स्वीडन के राजाओं को स्कैंडिनेवियाई राजा कहा जाता था. कई लोग राजा को blátǫnn था और यह डेनमार्क भाषा का नाम है.  इसका अंग्रेजी में अर्थ ब्लूटूथ होता है. अब कहानी ये है कि राजा का नाम blátǫnn क्यों पड़ा था, जिसका मतलब है ब्लूटूथ यानी नीला दांत. दरअसल, यूएसए टूडे और इकोनॉमिक्स टाइम्स की कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि राजा का नाम ब्लूटूथ इसलिए क्योंकि उनका एक दांत नीले रंगा का था, जो एक तरीके से डेड दांत था. ऐसे में इस राजा के इस नीले दांत से ब्लूटूथ का नाम ब्लूटूथ पड़ा है.

एक किस्सा ये भी है
हालांकि वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में दांत वाली कहानी से कुछ अलग कहानी बताई गई है। लेकिन, यह बात तय है कि ब्लूटूथ का नाम राजा Harald Gormsson के नाम पर ही पड़ा था. कहते हैं कि राजा का एक दांत पूरी तरह से सड़ चुका था और उसका रंग नीला हो गया था. राज के इस दांत में जान नहीं थी. यही कारण था कि इस राजा को ब्लूटूथ के नाम से पुकारा जाता था. हालांकि कई जगह कई और कहानियां भी बताई जाती हैं. फेसबुक पर इसको लेकर कई तरह के मीम्स भी शेयर किए गए जिसमें कहा गया कि राजा ने बहुत अधिक ब्लूबेरीज खा ली थीं जिसकी वजह से उनका दांत नीला पड़ गया. एक कहानी ये भी है जिसमें कहा जाता है कि ब्लूटूथ के मालिक Jaap HeartSen, Ericsson कंपनी में Radio System का काम करते थे. Ericsson के साथ नोकिया, इंटेल जैसी कंपनियां भी इस पर काम कर रही थी. ऐसी ही बहुत सी कंपनियों के साथ मिलकर एक गठन बनाया था जिसका नाम SIG (Special Interest Group) था. इसी ग्रुप ने इस राजा के नाम पर इस डिवाइस का नाम ब्लू टूथ रखा था.