पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती ये बात तो हमने कई बार सुनी है लेकिन असल जिंदगी में कुछ ही लोग होते हैं जो इसे चरितार्थ करते हैं. ऐसा ही एक कहानी है महाराष्ट्र की रहने वाली कल्पना अच्युत की. एक हाउस वाइफ होने के बावजूद वो अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटीं और अपने सपने को पूरा किया.
मास्टरकार्ड के एक सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रसाद जंभाले (Prasad Jambhale) ने अपनी मां की कहानी लिंक्डइन पर शेयर की. जंभाले की 53 साल की मां ने शादी के 37 साल बाद 10वीं की परीक्षा पास की है. मां ने नाइट स्कूल में जाकर पढ़ाई की और परीक्षा पास की. प्रसाद ने बताया कि उनकी मां ने 2021 में इस स्कूल में एडमिशन लिया था और इसके बारे में उनके पिता और खुद प्रसाद तक को नहीं पता था.
घर में किसी को नहीं था पता
प्रसाद आयरलैंड में रहते हैं. वो जब भी शाम को फोन करते और मां के बारे में पूछते थे तो उनसे कहा जाता था कि मां वॉक पर गई है. जबकि उनकी मां मुंबई में नाइट क्लासेज में पढ़ाई करने गई होती थी. मां ने एक महीने तक उनके पिता और दूसरे बेटे को भी इसके बारे में नहीं बताया. हालांकि, उन्हें हाल ही में पता चला कि महाराष्ट्र सरकार ने नाइट स्कूल में पढ़कर किसी को भी दोबारा परीक्षा देने की इजाजत दे दी है. यहां तक की ट्रेनिंग और पढ़ाई का खर्च भी सरकार द्वारा ही वहन किया जाना था.
अपनी क्लास की मेधावी छात्र थी मां
प्रसाद ने बताया कि जब वो इंडिया आए तो उनकी मां ने उन्हें अपनी नोटबुक दिखाई. वो अलजेब्रा और इंग्लिश में बहुत अच्छी थीं. प्रसाद यह देखकर हैरान रह गए. उन्होंने बताया कि उनकी मां का दिन पढ़ाई से शुरू होता था. उनकी मां ने उन्हें उन लोगों की फोटोज भी दिखाई जिन्होंने पहले किन्हीं कारणों की वजह से पढ़ाई छोड़ दी थी और अब फिर से पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने पोस्ट में लिखा कि उनकी मां सारे कंसेप्ट को बहुत आसानी से समझ लेती थी और अपने बैच की एक मेधावी छात्रा थीं. इतना ही नहीं, प्रसाद की फरवरी में शादी हो रही थी और उनकी मां की परीक्षा मार्च में थी फिर भी, उन्होंने हर चीज को बहुत अच्छे से और समय के साथ मैनेज किया.
प्रसाद ने इसके साथ ही मां का रिपोर्ट कार्ड भी शेयर किया, जिसमें उन्हें सारे विषयों में 80 से ज्यादा नंबर मिले थे. उन्होंने 79.60% अंक प्राप्त किए. उन्होंने अपनी मां की तारीफ की और कहा कि वो बड़े खुशकिस्मत हैं. उनकी मां ने दिखा दिया कि लाइफ में कोई काम कभी भी करो, बस करो... तो उसे पूरा करो और पूरे दिल से करो.