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गलवान घाटी में शहीद हुए पति तो टीचर की नौकरी छोड़ पत्नी ने पहन ली वर्दी, भारतीय सेना में बनीं लेफ्टिनेंट

मध्य प्रदेश के रीवा में रहने वाली रेखा सिंह आज सबके लिए मिसाल बन गई हैं. सरहद की रक्षा में पति हुए शहीद तो अब उन्होंने खुद भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा का निश्चय किया है.

Rekha Singh Rekha Singh
हाइलाइट्स
  • पति की शहादत के बाद किया फैसला

  • टीचर की नौकरी छोड़ पहनी वर्दी 

किसी ने बिल्कुल सही कहा है कि नारी तू नारायणी... और आज बहुत सी महिलाएं इस बात को सही साबित कर रही हैं. इसमें से एक हैं रेखा सिंह, जो हाल ही में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर शमिल हुई हैं. खास बात यह है कि रेखा सिंह ने यह कारनामा अपने पति के सपनों को पूरा करने के लिए किया है. 

वह लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना से हुई झड़प में शहीद हुए लांस नायक दीपक सिंह की पत्नी हैं. शहीद दीपक सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. अपने पति को खोकर भी रेखा के दिल से देश की सेवा का जज़्बा कम नहीं हुआ है. 

टीचर की नौकरी छोड़ पहनी वर्दी 

रीवा जिले के शहीद लांस नायक दीपक सिंह की पत्नी का भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हो गया है. भारतीय सेना के जांबाज सैनिक के रूप में दीपक सिंह ने 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के धोखे से किए गए हमले का जोरदार मुकाबला किया. उन्होंने चीनी सैनिकों के साथ कड़ा मुकाबला करते हुए अपने साथियों के साथ चीनी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया. 

लेकिन इस संघर्ष में दीपक सिंह मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. शादी के मात्र 15 महीने बाद ही रेखा सिंह ने अपने पति को खो दिया. लेकिन पति की शहादत और देशभक्ति के जज़्बे को रेखा सिंह जाया नहीं जाने दिया. उन्होंने शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर सेना में अफसर बनने का सपना सजो लिया. 

दूसरे प्रयास में मिली सफलता

पर यह राह आसान नहीं थी. उन्होंने नोएडा जाकर सेना में भर्ती होने के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी की और प्रशिक्षण लिया. रेखा ने फिजिकल ट्रेनिंग ली. पर वह प्रथम प्रयास में सफल नहीं हो सकीं. लेकिन रेखा ने हिम्मत नहीं हारी और सेना में जाने की पूरी तैयारी करती रहीं. 

रेखा ने दूसरा प्रयास किया और उनकी मेहनत रंग लाई. भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर उनका चयन हो गया. भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर उनका प्रशिक्षण 28 मई से चेन्नई में शुरू होगा. प्रशिक्षण पूरा होने पर एक साल में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर सेवाएं देंगी.

(विजय कुमार विश्वकर्मा की रिपोर्ट)