होली का त्यौहार खुशियों का त्योहार है. इस त्योहार के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हैं. देश के कोने-कोने में इसके लेकर तरह तरह की प्रथाएं हैं. उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में भी एक गांव है कुंडौरा. जहां पर पुरुषों को होली में बाहर आने की मनाही है. जी हां, सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगता है, पर ये सच है. करीब 5 हजार की आबादी वाले इस गांव में पुरूषों के होली खेलने पर रोक है. आम तौर पर गावों में होली पर पुरुष ढ़ोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते टोली निकालते हैं. लेकिन यहां पर सब कुछ उल्टा होता है.
होली के दिन पुरुषों का बाहर आना है मना
कुंडौरा गांव में सुबह के वक्त महिलाएं और लड़कियां ढोल-नगाड़ा लेकर निकलती है और घर-घर जाकर फाग गाती हैं, और ठुमके लगाती हैं. दरअसल ये परंपरा 500 साल पुरानी है. इस दिन महिलाओं को पूरी आजादी होती है. यहां तक की घर के बुजुर्गों के सामने साल भर पर्दा करने वाली बहू भी घूंघट नहीं करती. इस दिन पुरुष घरों में कैद होते हैं, और अगर कभी-कभार बाहर आ भी जाएं, तो उनकी पिटाई भी होती है. कई बार तो पुरुषों को सजा को तौर पर लहंगा-चोली पहनाकर गांव का दौरा कराया जाता है.
इतिहास से जुड़ी है परंपरा की डोर
इस गांव में महिलाओं की होली का त्योहार कई साल पुराना है. पूर्वजों की परंपरा का पालन आज भी यहां बड़ी शिद्दत के साथ किया जाता है. इस त्योहार की परंपरा की जड़ें आपको इतिहास के पन्नों में मिलेंगी. यहां ग्रामीण बताते हैं कि कई दशक पहले होली के दिन गांव के लोग रामजानकी मंदिर में फाग गा रहे थे. उसी समय एक इनामी डकैत मेम्बर सिंह ने राजपाल नाम के आदमी की गोली मारकर हत्या कर दी. तब से यहां कई सालों तक होली नहीं मनाई गई. कई दिन बाद जब महिलाओं ने पुरुषों को होली मनाने के लिए समझाया तो वो लोग नहीं माने. उनके न मानने पर सभी राम जानकी मंदिर में इकट्ठा हुईं. उसी वक्त ये फैसला लिया गया कि अब से होली त्योहार के अगले दिन केवल महिलाएं ही इस त्योहार को मनाएंगी. पुरूष इसमें हिस्सा नहीं लेंगे.
एक दिन पुरुष, तो एक दिन महिलाएं खेलती हैं होली
ऐसा नहीं है कि यहां के पुरुष होली खेलते ही नहीं हैं. दरअसल यहां के पुरुष पहले दिन खूब रंग खेलते हैं. लेकिन दूसरे दिन केवल महिलाएं पूरी आजादी के साथ रंग खेलती है. महिलाओं को होली खेलने में कोई तकलीफ ना हो इसलिए पुरुष घरों में ही रहते हैं, या खेत-खलिहान जाकर अपना काम करते हैं. सूर्यास्त के बाद जब पुरुष लौटते भी हैं, तो उन्हें होली देखने की मनाही होती है.
फोटो-वीडियो लेने की भी है मनाही
गांव की महिलाएं राम जानकी मंदिर के फाग निकालकर आयोजन शुरू करती हैं. फाग निकालते वक्त कोई भी पुरुष उन्हें देख नहीं सकता. यहां तक की किसी को भी यहां पर फोटो या वीडियो लेने की मनाही है. अगर कोई बिना अनुमति के फोटो या वीडियो लेते पाया जाता है, तो उसे सजा भी भुगतनी पड़ती है. कई बार तो जुर्माना भी लगाया जाता है. इतना ही नहीं कई बार तो लट्ठ मारकर गांव के बाहर खदेड़ दिया जाता है.