scorecardresearch

World Coconut Day: आज के जमाने का 'कल्पवृक्ष' है नारियल का पेड़, जानिए क्यों

हर साल 2 सितंबर को World Coconut Day मनाया जाता है. नारियल का हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा महत्व है. धार्मिक कार्यों से लेकर इंडस्ट्रियल लेवल तक नारियल की मांग है.

Coconut known as Tree of Life (Photo: Unsplash) Coconut known as Tree of Life (Photo: Unsplash)

हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में नारियल (Coconut) किसी न किसी रूप में इस्तेमाल होता है. किसी की सुबह नारियल पानी (Coconut Water) के साथ शुरू होती है तो कोई पूजा का नारियल तोड़कर कच्चे नारियल का प्रसाद बांटता है. बहुत से घरों में नारियल की ग्रेवी, चटनी और लड्डू आदि बनाए जाते हैं. नारियल से छिलकों से कोकोपीट बनाया जाता है और इसके खोल से हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्टस बनाए जाते हैं. इस तरह से भारत ही नहीं दुनिया भर में नारियल धार्मिक प्रथाओं, स्वास्थ्य, संस्कृति, फूड और कॉमर्स में महत्वपूर्ण महत्व रखता है. नारियल की महत्वता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, 2009 से एशियाई और प्रशांत नारियल समुदाय (SPCC) 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस (World Coconut Day) मनाता है. 

नारियल का क्या है इतिहास 
Coir Board के मुताबिक, देश में नारियल का पहला दर्ज इतिहास रामायण काल ​​का है. वाल्मिकी रामायण में किष्किंधा कांड और अरण्य कांड में नारियल का उल्लेख मिलता है. ऐसा बताया जाता है कि रामायण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में वाल्मिकी ने लिखी थी. आमतौर पर यह माना जाता है कि भारत में नारियल का आगमन उत्तर-वैदिक काल में हुआ था. वाल्मिकी रामायण में किष्किन्धा काण्ड और अरण्य काण्ड में नारियल का उल्लेख मिलता है. आमतौर पर यह माना जाता है कि भारत में नारियल का आगमन उत्तर-वैदिक काल में हुआ था. 

Coconut Tree

कालिदास के रघुवंश और संगम साहित्य में नारियल का उल्लेख मिलता है, जिससे भारत में नारियल की प्राचीनता सिद्ध होती है.  हालांकि, इसकी उत्पत्ति के बारे में ठोस जानकारी नहीं मिलती है. 13वीं शताब्दी में भारत का दौरा करने वाले प्रसिद्ध अरब यात्री मार्को पोलो ने नारियल को "भारतीय अखरोट" कहा था. वहीं, केरल के इतिहासकार पी.के. बालाकृष्णन का तर्क है कि पुर्तगालियों के आगमन के बाद ही केरल में नारियल की संगठित खेती शुरू हुई. नारियल के रेशों से बनी रस्सियां और डोरियां प्राचीन काल से ही उपयोग में आती रही हैं. भारतीय नाविक, जो सदियों पहले मलाया, जावा, चीन और अरब की खाड़ी तक समुद्र में यात्रा करते थे, अपने जहाज के केबल के रूप में नारियल के रेशों स बनी रस्सियां उपयोग कर रहे थे. 

सम्बंधित ख़बरें

नारियल को कहते हैं 'कल्पवृक्ष'
द्वापर युग में 'कल्पवृक्ष' (Kalpavriksha) एक ऐसा पेड़ था जो जीवन की सभी जरूरतें पूरी कर सकता था. इस 'Tree of Life' भी कहा जाता था. आज के जमाने में ट्री ऑफ लाइफ या कल्पवृक्ष नारियल के पेड़ को कहा जाता है. ऐसा इसलिए है कि नारियल का हर एक हिस्सा हमारे काम आता है. नारियल से हमें पानी, खाना, आजीविका और कई दूसरे साधन मिल सकते हैं. इस तरह से इसका समाज के लिए सकारात्मक प्रभाव है. नारियल संस्कृत शब्द, 'नरिकेला' से निकलकर आया है. 

खाने में नारियल 
नारियल पांच तरह के फूड प्रोडक्ट्स देता है- नारियल पानी, नारियल का दूध (मलाई), शुगर, तेल और इसका सॉलिड पार्ट जिसका इस्तेमाल ग्रेवी, लड्डू बनाने में होता है. नारियल पानी आज भी रिफ्रेशिंग ड्रिंक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, इसकी मलाई  को अलग-अलग तरह से लोग इस्तेमाल करते हैं. नारियल का तेल दुनियाभर में खाना बनाने, बालों और स्किन पर लगाने आदि के काम आता है. नारियल को कद्दुकस करके इसे अलग-अलग तरह की डिशेज बनाने में इस्तेमाल करते हैं. खासकर दक्षिण भारत में इसकी कई डिशेज बनती हैं. 

Coconut Water

कॉस्मेटिक्स 
नारियल के तेस का इस्तेमाल सदियों से हमारे देश में हो रहा है. इसे हेयरकेयर और स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जाता है. इसकी मॉइस्चराइजिंग प्रॉपर्टीज के कारण इसे कई क्रीम और बॉडी लोशन आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल साबुन, सर्फ, शैंपू, शेविंग क्रीम, और लिपस्टिक आदि बनाने में भी होता है. 

ड्रिंक और एल्कोहल में 
भारत और श्रीलंका में नारियल से टोडी भी बनाई जाती है जिसमें नारियल के जूस को फर्मेंट करके इसमें 8% तक एल्कोहल मिलाया जाता है. केरल में टोडी को कल्लु, मधू, नीरा और कोकोनट पाम वाइन जैसे नामों से जानते हैं. कुछ हफ्तों बाद यह विनेगर बन जाता है. इस तरह अलग-अलग जगहों पर नारियल से अलग-अलग ड्रिंक्स भी बनाई जाती हैं. 

नारियल की शुगर 
नारियल की चीनी, यानी कोकोनट शुगर, नारियल के फूलों से निकले रस से बनती है. इस रस को उबाला जाता है और फिर इसे क्रिस्टलाइज करके एक डार्क शुगर मिलती है जो मेपल शुगर जैसी होती है. बहुत से लोगों का मानना है कि यह शुगर स्वास्थ्य के लिए बेहतर होती है. 

मेडिसिनल इस्तेमाल 
भारत में नारियल का औषधीय इस्तेमाल प्राचीन समय से है. सुश्रूत संहिता में इसका जिक्र मिलता है. नारियल पानी, फूल, तेल, दूध और कॉइर के औषधीय उपयोग हैं. वर्तमान में नारियल आयुर्वेद, सिद्ध, तिब्बती और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इस्तेमाल किया जाता है. इसे कोल्ड, अस्थमा, कब्ज, खांसी जैसी बीमारियों में इस्तेमाल करते हैं. नारियल के फूलों को भी घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल करते हैं. 

Coconut Shell Handicraft

खेती में इस्तेमाल 
नारियल के कई हिस्से खेती के कामों में इस्तेमाल होते हैं. जैसे नारियल के छिलके या रेशे से कोकोपीट बनाते हैं जो पेड़-पौधों के लिए खाद का काम करता है. इसके तेल का उपयोग कीटप्रतिरोधक बनाने के लिए किया जाता है. इन-विट्रो टिश्यू कल्चर में ग्रोथ प्रमोटर के लिए नारियल पानी का इस्तेमाल करते हैं. नारियल का दूध बनाने के बाद जो वेस्ट बचता है उससे पशुओं का चारा भी बनाया जाता है. 

हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स 
नारियल के रेशों से रस्सी, चटाई आदि बनाई जाता है. इसके अलावा, नारियल के खोल का इस्तेमाल तरह-तरह के हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स जैसे कप, डेकॉर आइटम आदि बनाने के लिए किया जाता है. बहुत से लोगों ने आज इसी सेक्टर में अपना व्यवसाय शुरू किया है और इस प्रोडक्ट्स की अच्छी मांग है. 

इस सबके अलावा, हिंदू धर्म में नारियल बच्चे के जन्म से लेकर किसी मौत तक, हर तरह के धार्मिक कार्य में इस्तेमाल होता है. कोई भी पूजा-विधान नारियल के बिना पूरा नहीं होता है. इस तरह से नारियल हमारे जीवन की बहुत सी जरूरतों को पूरा करता है और यह अपने आप में एक इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट होने के साथ-साथ कई इंडस्ट्रीज के लिए रॉ मेटेरियल का काम करता है.