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World Doll Day: पारंपरिक, कार्टून से लेकर विदेशी गुड़िया तक, इस डॉल म्यूजियम में मौजूद हैं तरह-तरह की डॉल्स

हर साल जून के दूसरे शनिवार को, विश्व गुड़िया दिवस प्यार और खुशी का सार्वभौमिक संदेश देने वाली गुड़िया के विचार का जश्न मनाता है.

Unique dolls in museum Unique dolls in museum

आज के जमाने में जहां स्मार्टफोन और वीडियो गेम ने मनोरंजन के रूप में पारंपरिक खिलौनों की जगह ले ली है, वहीं पश्चिमी भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक चार दशक पुराना गुड़िया संग्रहालय फीनिक्स की तरह उभरा है. जी हां, आपने बहुत से म्यूजियम देखे होंगे लेकिन Doll Museum की बात कुछ अलग ही है. इस म्यूजियम में कई तरह की डॉल्स हैं. और यहां रखी हर डॉल या गुड़िया अपने देश-प्रदेश की खासियत बताती है.

 कोई अपने पहनावे से तो कोई बनावट से, किसी के कपड़ों की कारीगरी तो किसी के काम करने का अंदाज बताता है कि उनमें क्या खास है. यहां पर कार्टून कैरेक्टर्स से लेकर देशी विदेशी डॉल्स तक, सब अनोखे अंदाज में रखी गई हैं.

साल 1975 में शुरू हुआ था म्यूजियम
बताया जाता है कि 1975 में भगवानी बाई सेकसरिया परिवार ने यह डॉल म्यूजियम स्थापित किया गया था और 1970 और 1980 के दशक में एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल था. लेकिन साल 2018 से पहले के कुछ सालों तक यह म्यूजियम अनदेखा रहा. यह अपनी दयनीय स्थिति के कारण टूरिस्ट प्रोग्राम से बाहर हो गया था क्योंकि यहां की डॉल्स टूटी हुई थीं, उनके कपड़े ठीक नहीं थे, और उन पर धूल की परत जमी हुई थी. हालांकि, साल 2018 में इस म्यूजियम को नई जिंदगी मिली.

यह मूक-बधिर बच्चों के लिए राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी स्कूल, सेठ आनंदी लाल पोद्दार मूक बधीर (मूक और बधिर) सीनियर सेकेंडरी स्कूल के परिसर में स्थित है, जो पुलिस मेमोरियल सर्कल के पास है. स्कूल जुलाई 1945 में स्थापित किया गया था, लेकिन गुड़िया संग्रहालय इसके लगभग 30 साल बाद आया, जब श्रीमती भगवानीबाई गौरीदत्त सेखसरिया चैरिटेबल ट्रस्ट ने स्कूल के मूक और बधिर बच्चों को आवाज देने का फैसला किया.

600 से ज्यादा है गुड़ियां
डॉल म्यूजियम में मौजूद 600 से ज्यादा डॉल्स भारतीय संस्कृति को दर्शाती हैं और इनके साथ में, कार्टून कैरेक्टर वाली डॉल्स भी शामिल हैं. जैसे कैरेक्टर स्पाइडरमैन, हार्थ मॉल, बैटमैन, हल्क और आदि डॉल्स भी हैं. ऐसे में यहां बच्चों का अच्छा मनोरंजन रहेगा. इस म्यूजियम में सेंट्रल कूलिंग सिस्टम, लाइटिंग एवं लकड़ी की आलमारियां हैं. इसमें जापान की प्रसिद्ध डॉल हिना मास्तुराई भी है. इसके अलावा अरब, स्वीडन, स्वीट्जरलैंड, अफगानिस्तान, ईरान आदि देशों की डॉल्स गैलेरी में रखी गई हैं. लगभग सब देशों की डॉल्स यहां मौजूद हैं.

जहां तक बात भारत की है, भारत के कई प्रदेशों की डॉल्स यहां मौजूद हैं. हरियाणवी कपल, मराठी कपल, स्कूल में पढ़ते हुए बच्चे, विभिन्न सांस्कृतिक त्यौहारों को चित्रण तो है ही, मीरा बाई और कृष्ण के बीच के अनोखे संबंध को भी चित्रित किया गया है.

जरूर जाएं यहां
अगर आप जयपुर देखने जा रहे हैं तो एक बार
डॉल म्यूजियम जरूर देखें. यह पर्यटकों के लिए रोज दोपहर 12­.00 बजे से रात 8.00 बजे तक खुला रहता है. अगर आप जयपूर में डॉल म्यूजियम घूमने का प्लान बना रहे है तो आपको बता दें की म्यूजियम को घूमने के लिए 1 से 2 घंटे का समय जरूर दे. इसमें एंट्री के लिए कुछ फीस भी हो सकती है.