
विश्व पृथ्वी दिवस (World Earth Day) हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है. इसका मकसद है लोगों को पृथ्वी की रक्षा, पर्यावरण की देखभाल, और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए जागरूक करना. यह दिन हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी हमारी एकमात्र घर है, और इसकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है. पहली बार Earth Day साल 1970 में अमेरिका में मनाया गया था. इसकी शुरुआत Gaylord Nelson नाम के एक अमेरिकी सीनेटर ने की थी, जो पर्यावरण को लेकर चिंतित थे. तब से यह दिन हर साल पूरी दुनिया में मनाया जाता है.
भारत और भारतीयों के लिए यह दिन बहुत ही महत्वूर्ण है क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की आर्थिक व्यवस्था काफी हद तक प्रकृति पर निर्भर है जैसे जल, मिट्टी, वायु और जंगल. यह दिन लोगों को ये समझाने का मौका देता है कि अगर हमने इन संसाधनों की रक्षा नहीं की, तो आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा. हमारी संस्कृति में पृथ्वी को 'माता' (धरती माता) कहा जाता है. ऐसे में इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हर एक नागरिक पर है. और आज बहुत से भारतीय इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं.
धरती की रक्षा कर रहे इन चेंजमेकर्स को Earth Heroes कहा जाए तो गलत नहीं होगा और आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही कुछ Earth Heroes के बारे में.
1. प्रदीप सांगवान
हरियाणा के गुरुग्राम निवासी प्रदीप सांगवान पिछले 15 साल से हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित हैं. उन्होंने 2016 में Healing Himalayas Foundation की स्थापना की, जिसका उद्देश्य पर्यटकों द्वारा छोड़े गए कचरे को साफ करना और सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटीज स्थापित करना है. सांगवान और उनकी टीम ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पांच मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज़ (MRFs) स्थापित की हैं, जहां हर दिन लगभग 1.5 टन नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरा इकट्ठा किया जाता है.
स्थानीय लोगों को कचरा इकट्ठा करने, फिर अलग करने और रिसायक्लिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे रोजगार बढ़ता है और पर्यावरण के बारे में जागरूकता बढ़ती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में 'मन की बात' कार्यक्रम में सांगवान की पहल की सराहना की, जिससे उनके काम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. आज कोई भी प्रदीप सांगवान की पहल से जुड़कर मदर अर्थ की रक्षा करने में उनका साथ दे सकता है. आप उनके साथ वॉलंटियरिंग कर सकते हैं.
2. चिनू क्वात्रा
चिनू क्वात्रा 'बीच वॉरियर्स' के संस्थापक हैं. वह मुंबई के एक समर्पित पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. उन्होंने 2017 में दादर बीच के सफाई अभियान की शुरुआत की थी, जिसे बाद में 'बीच वॉरियर्स' नामक ग्रुप के तौर पर आगे बढ़ाया गया. उनकी टीम ने अब तक मुंबई के सात समुद्र तटों से 2200 टन से ज्यादा कचरा हटाया है, जिसमें दादर, वर्ली, जुहू कोलीवाड़ा, बांद्रा, मड आईलैंड, एरंगल और कफ परेड शामिल हैं. साल 2014 में चिनू निजी जीवन में परेशानी से जूझ रहे थे और तब उन्होंने अपनी मां की प्रेरणा से समाज सेवा की दिशा में कदम बढ़ाया. 2017 में, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर 'बीच वॉरियर्स' की शुरुआत की, जो अब एक राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जाने वाली पहल बन चुकी है.
उनकी टीम ने 2018 में वर्ली किला क्षेत्र से 200 टन कचरा 24 घंटे में हटाकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान हासिल किया. उन्हें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम से भी सम्मान मिल चुका है. चिनू ने अभिनेत्री अमृता राव के साथ मिलकर 'इको बप्पा मोरया' अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य गणेश चतुर्थी के दौरान पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों और विसर्जन को बढ़ावा देना था. उनकी अन्य प्रमुख पहलों में 'रोटी घर' और 'MARD (Menstruation- A Right To Discussion)' शामिल हैं.
3. रोहित मेहरा
IRS अफसर रोहित मेहरा को "ग्रीन मैन ऑफ इंडिया" के नाम से जाना जाता है. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं, विशेष रूप से माइक्रो-फॉरेस्ट्स (सूक्ष्म वन) बनाने में. रोहित मेहरा ने भारत के विभिन्न हिस्सों में 75 से ज्यादा मानव निर्मित वन बनाए हैं, जिनका आकार 2,000 वर्ग फीट से लेकर 66,000 वर्ग फीट तक है. इन वनों में 108 प्रकार के पौधे लगाए गए हैं. उन्होंने वैदिक वन, पंचवटी, त्रिवेणी, हरिशंकारी, ऋषि वन, राशि वन, नवग्रह वन आदि लगाए हैं, इन वनों का उद्देश्य पर्यावरण को पुनः स्थापित करना और जैव विविधता को बढ़ाना है ताकि धरती सुरक्षित हो सके.
लुधियाना के गुरुद्वारा दुखनिवारन साहिब में उन्होंने "नानक वन" नामक एक सूक्ष्म वन का निर्माण किया, जो गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती को समर्पित है. यह वन स्थानीय समुदाय की भागीदारी से बनाया गया है. रोहित मेहरा ने "ट्री एम्बुलेंस" और पौधों के लिए दुनिया के पहले अस्पताल की शुरुआत की है. रोहित मेहरा का मानना है कि पर्यावरण की रक्षा सिर्फ सरकारी प्रयासों से नहीं हो सकती; इसमें प्रत्येक नागरिक की भागीदारी जरूरी है.
4. अब्दुल आहद खान
जम्मू-कश्मीर के अब्दुल अहद खान को 'कश्मीर के चिनार मैन' के नाम से जाना जाता है. वह कुपवाड़ा जिले के नगरी मल्पोरा गांव के निवासी हैं, जिन्होंने पिछले 15 वर्षों से चिनार और अन्य पेड़ लगाने का काम किया है. उनकी इस निस्वार्थ सेवा को देखते हुए वन विभाग ने उन्हें "चिनार मैन ऑफ नॉर्थ कश्मीर" का सम्मान दिया है. अब्दुल अहद खान की प्रेरणा 2010 में एक ट्रैकिंग यात्रा के दौरान मिली, जब उन्होंने अपने गांव के पास के "बंद वादर" जंगल में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई देखी. इस दृश्य ने उन्हें चिनार के पेड़ों को बचाने और फिर से लगाने का संकल्प दिलाया.
अब तक उन्होंने कुपवाड़ा जिले के विभिन्न स्थानों पर 2,000 से अधिक चिनार पेड़ लगाए हैं. उन्होंने ज़ंगली वन विभाग को लगभग 700 चिनार शाखाएं दी हैं, ताकि वे उन्हें नर्सरी में उगा सकें. अब्दुल अहद खान ने नागरी-वाड़ी पार्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो अब क्षेत्रवासियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है. उनका उद्देश्य 50000 चिनार के पेड़ लगाने का है.