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World Food Day 2022: हर दिन गरीब लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं ये लोग ताकि कोई न सोए भूखा

World Food Day 2022: विश्व खाद्य दिवस 1945 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की स्थापना को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है. यह हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है.

World Food Day 2022 (Photo: Instagram) World Food Day 2022 (Photo: Instagram)
हाइलाइट्स
  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 121 देशों में 107वें स्थान पर है भारत

  • हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है World Food Day

साल 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिदिन 4,500 बच्चे भूख से मरते हैं और लगभग 20 करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे सोते हैं. भारत अब ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 121 देशों में 107वें स्थान पर है. दूसरी ओर, देश में उत्पादित कुल खाद्यान्न का 40 प्रतिशत हिस्सा बर्बाद हो जाता है. 

हालांकि, इस चिंता की घड़ी में कई लोग आज राहत का उजाला फैलाने में जुटे हैं. आज कई मसीहा ऐसे हैं जिन्होंने जरूरतमंदों को भूखा न सोने देना अपना मिशन बना लिया है. आज World Food Day 2022 पर हम आपको ऐसे लोगों के बारे में बता रहे हैं जो दूसरों की मदद कर रहे हैं. 

चंद्र शेखर कुंडू
आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षक, चंद्र शेखर कुंडू कई सालों से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कॉलेज परिसर से अपनी पहल शुरू की थी. वह एक बड़े टिफिन बॉक्स में कैंटीन में बचे हुए खाने के लेते और क्षेत्र में रेलवे स्टेशन के पास रहने वाले गरीब बच्चों को बांटते. 

कुछ महीने बाद, कुंडू ने 2016 में बच्चों में कुपोषण को खत्म करने के उद्देश्य से एक गैर-सरकारी संगठन, FEED (खाद्य शिक्षा और आर्थिक विकास) की स्थापना की. संगठन ने कई शैक्षणिक संस्थानों और आईआईएम-कलकत्ता, वेसुवियस इंडिया लिमिटेड और सीआईएसएफ बैरक जैसे कॉरपोरेट्स के साथ भागीदारी की है ताकि रोजाना बचा हुआ भोजन इकट्ठा किया जा सके और जरूरतमंदों को बांटा जा सके. 

फिलेम रोहन सिंह 
फिलेम रोहन सिंह मणिपुर के छोटे से शहर मोइरंग के रहने वाले हैं. साइकिल चलाने का उनका जुनून उन्हें कई जगहों पर लेकर गया है जहां वे नए लोगों से मिले. साथ ही, लोगों की विभिन्न समस्याओं को समझने का मौका उन्हें मिला. 

जब कोरोना महामारी पीक पर थी, तब रोहन ने मणिपुर में 'फीडिंग द हंग्री' अभियान शुरू किया. जिसके जरिए, रोहन ने हर दिन 50-60 लोगों को भोजन उपलब्ध कराया. फरवरी 2021 में, उन्होंने इस अभियान को चार प्रमुख महानगरों-कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु और दिल्ली में विस्तारित करने का निर्णय लिया. उन्होंने दो महीनों में 4,000 से अधिक लोगों को भोजन कराया.

आज वह अपने नए मिशन पर हैं. अब वह इंफाल में एक रेस्तरां शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसे पूरी तरह से मूक-बधिर लोग मैनेज करेंगे.  

मल्लेश्वर राव
आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में जन्मे मल्लेश्वर राव एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. बाद में, उनका परिवार नागपुर में बस गया और खेती करने लगा. हालांकि, भारी बारिश ने 1998 में उनकी आजीविका के साथ-साथ सभी फसलों को नष्ट कर दिया. तब उन्होंने भूख को समझा और तय किया कि उनके आस-पास कोई भी भूखा न रहे. 

मुश्किलों का सामना करने के बावजूद, वह अब हैदराबाद और राजमुंदरी में गरीबों की भूख मिटाने के लिए Don't Waste Food नामक संगठन चला रहे हैं. मल्लेश्वर हर दिन 500 से 2,000 के बीच फूड पैकेट बांटते हैं.  उनका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' रेडियो प्रसारण पर भी किया था. 

हर्ष सिंह 


झारखंड के धनबाद के रहने वाले हर्ष सिंह ने कई सालों से अपने पड़ोस में कोयला खनिकों और उनके परिवारों को दैनिक मजदूरी या कोयले की बोरियों को बेचकर गुजारा करने के लिए संघर्ष करते देखा है. 2019 में, उन्होंने लगभग 30 स्वयंसेवकों की एक टीम के साथ सहदेव फाउंडेशन की शुरुआत की, ताकि उनकी बुनियादी ज़रूरतों में मदद की जा सके. फाउंडेशन का उद्देश्य गरीब बच्चों को शिक्षा और प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराना है.