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History of Mysore Pak: इस शाही घराने से है मैसूर पाक का रिश्ता, खानसामे ने राजा को खुश करने के लिए बनाई थी मिठाई, जानिए इसका इतिहास

मैसूर पाक दुनियाभर में मशहूर है. इस मिठाई का स्वाद हर किसी को अपना दीवाना बना लेता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस मिठाई का ताल्लुक मैसूर के शाही राजघराने से है? आज दस्तरखान में पढ़िए मैसूर पाक का इतिहास.

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हाइलाइट्स
  • शाही मिठाई है मैसूर पाक 

  • दक्षिणी मिठाइयों का राजा- मैसूर पाक 

दक्षिणी राज्य कर्नाटक का शहर, मैसूर ऐतिहासिक शहर है. इसे राज्य की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है और यह भारतीय इतिहास की एक सुंदर झलक पेश करता है. अब यह शहर बंगलुरु की सिस्टर आईटी सिटी के रूप में भी उभर रहा है. मैसूर पैलेस और मैसूर शाही राजवंश घराने के साथ-साथ एक और चीज है जिसकी वजह से मैसूर दुनियाभर में मशहूर है और वह है- मैसूर पाक. 

शायद ही कोई हो जिसने इस मिठाई का नाम न सुना हो. आज देश-दुनिया के लगभग हर कोने में आपको मैसूर पाक खाने को मिल जाएगा. यह एक मिठाई काफी है आपको मैसूर के शाही अंदाज का अनुभव देने के लिए. आज दस्तरखान में हम आपको बता रहे हैं इसी मैसूर पाक की कहानी. 

शाही मिठाई है मैसूर पाक 
बात मैसूर पाक की करें तो यह साल था 1935 और जगह थी मैसूर शहर, जिस पर महाराजा वाडियार का शासन था. बताते हैं कि एक दिन अंबा विलास पैलेस (जहां राजा निवास करते थे) की रसोई शाही परिवार के लिए खास लंच तैयार कर रही थी. दोपहर के भोजन के लिए मिठाई को छोड़कर सब कुछ तैयार था. और मुख्य रसोइया, काकसुरा मडप्पा, राजा के लिए एक स्वादिष्ट लेकिन एकदम अलग मिठाई बनाने पर विचार कर रहे थे. 

जब उन्हें लगा कि खाना परोसे जाने में ज्यादा समय नहीं बचा है तो उन्होंने प्रयोग करना शुरू कर दिया. मडप्पा ने घी, बेसन और चीनी को एक साथ मिलाया और इससे चाशनी बनाई. मिठाई को सबसे अंत में पेश किया जाना था. ऐसे में, जब तक राजा ने अपना लंच खत्म किया, तब तक यह चाशनी थोड़ी जम गई. और इसने गर्म, बर्फी-जैसी, मिठाई का रूप ले लिया. 

जब कृष्णराज वाडियार ने इसका स्वाद चखा, तो वह इस मिठाई से मंत्रमुग्ध हो गए. यह मिठाई मुंह में रखते ही पिघल गई. उन्होंने मडप्पा को बुलाया और नई मिठाई का नाम पूछा. मडप्पा ने नाम के बारे में कुछ सोचा नहीं था को पहली बात जो उनके दिमाग में आई, वही  कह दी - "मैसूर पाका." 'पाका' एक कन्नड़ शब्द है जिसका अर्थ है मीठा मिश्रण. समय के साथ यह मिठाई राजपरिवार की पसंदीदा बन गई और इसे 'मैसूर पाक' के नाम से जाना जाने लगा. 

आम लोगों तक पहुंची शाही मिठाई 
बताते हैं कि महाराजा कृष्णराज वाडियार भोजन के पारखी थे और उन्होंने मैसूर के अंबा विलास पैलेस में यूरोपियन से लेकर पवित्र प्रसादम या महल के भीतर विभिन्न मंदिरों के प्रसाद जैसे विभिन्न व्यंजन तैयार करने के लिए एक बड़ी रसोई बनाई थी. राजा को मिठाई इतनी पसंद थी कि वह चाहते थे कि जनता को इस शाही व्यंजन का स्वाद मिले. 

उन्होंने मडप्पा को महल के परिसर के बाहर एक मिठाई की दुकान खोलने के लिए कहा. कहीं-कहीं पर यह भी बताया गया है कि मडप्पा चाहते थे कि मैसूर पाक के स्वाद को आम जनता भी चखे और उन्होंने अशोक रोड पर देसीकेंद्र स्वीट स्टॉल नाम से एक मिठाई बाजार शुरू किया था. बाद में इसे सैयाजी राव रोड पर ट्रांसफर कर दिया गया, जो गुरु स्वीट्स, या 'गुरु स्वीट मार्ट' की शुरुआत थी. 

दक्षिणी मिठाइयों का राजा- मैसूर पाक 
आज भी मैसूर पाक को दक्षिण भारत में मिठाइयों का 'राजा' माना जाता है. मैसूर की महिलाओं के अनुसार, दशहरा उत्सव के 10 दिनों के दौरान, उन्हें कम से कम 51 पारंपरिक वस्तुएं तैयार करनी होती हैं. भोजन और मिठाइयों की एक थाली में अगर थोड़ा सा मैसूर पाक न हो तो यह अधूरी मानी जाती है. मैसूर पाक को शादियों और त्योहारों के दौरान परोसा जाता है, जो भारत में बहुत ही शुभ माने जाते हैं.