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World Wetlands Day 2024: क्यों मनाते हैं वर्ल्ड वैटलैंड डे....जानिए देश के कुछ पॉपुलर वैटलैंड्स के बारे में

हर साल 2 फरवरी को World Wetlands Day के तौर पर मनाया जाता है. वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि जहां सालभर आंशिक रूप से या पूर्णरूप से पानी भरा रहता है. यह जमीन इंसानों के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

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हर साल 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस यानी वर्ल्ड वैटलैंड्स डे (World Wetlands Day) के रूप में मनाया जाता है. वैटलैंड्स जीव जंतुओं के अलावा पौधों के लिए भी पर्यावरणीय तंत्र के रूप में काम करते हैं. प्राकृतिक स्रोतों को खराब होता देख इन्हें बचाने के मकसद से वैटलैंड्स डे की शुरुआत हुई थी.

वैटलैंड्स डे की शुरुआत सबसे पहले 2 फरवरी 1971 में रामसर, ईरान में वैटलैंड कन्वेंशन के दौरान हुई थी. इसे रामसर कन्वेंशन भी कहा जाता है. इसलिए वैटलैंड्स को रामसर या रामसर साइट्स भी कहते हैं. भारत 1982 से इस कन्वेंशन का हिस्सा है.

वेटलैंड क्या है?
वेटलैंड यानी नमभूमि या आर्द्रभूमि. दुनिया में कहीं पानी है तो कहीं जमीन. लेकिन कई जगह दोनों ही यानि पानी और जमीन दोनों एकसाथ हैं. वैटलैंड जमीन का वह हिस्सा है जहां पानी और भूमि आपस में मिलते हैं. ऐसी जमीन जो सालभर या साल के ज्यादातर महीने पानी से भरी रहती है. वैटलैंड या आर्द्रभूमि की मिट्टी किसी झील, नदी, तालाब के किनारे का वह हिस्सा है जहां बहुत ज्यादा मात्रा में नमी पाई जाती है.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि रामसर कन्वेंशन के तहत पांच और भारतीय वैटलैंड्स को अंतरराष्ट्रीय महत्व के वैटलैंड्स की ग्लोबल लिस्ट में जोड़ा गया है. इस तरह 5 और साइट जोड़ने से भारतीय वैटलैंड्स साइट्स की तादाद बढ़कर 80 हो गई हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 29 जनवरी 2023 के अपने 'मन की बात' में रामसर स्थलों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की अहम भूमिका पर जोर दिया था.

भारत की जो 5 वैटलैंड्स साइट्स हाल में ग्लोबल लिस्ट में जोड़ी गई हैं, उनमें तीन कर्नाटक में और दो तमिलनाडु में हैं. मगदी केरे संरक्षण रिजर्व (Magadi Kere Conservation Reserve), अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व (Ankasamudra Bird Conservation Reserve), अघनाशिनी मुहाना (Aghanashini Estuary)- ये कर्नाटक में हैं जबकि कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य (Karaivetti Bird Sanctuary) और लॉन्गवुड शोला रिजर्व वन (Longwood Shola Reserve Forest) तमिलनाडु में स्थित हैं.

आज इस मौके पर आपको भारत में घूमने वाली कुछ सबसे खास वैटलैंड जगहों के बारे में बताएंगे.

लोकटक झील
लोकटक झील एक ऐसी झील है जिसे फ्लोटिंग झील भी कहा जाता है क्योंकि ये विश्व की एकलौती ऐसी झील है जो तैरती हुई दिखाई देती है. यह भारत के पूर्वोतर राज्य मणिपुर में स्थित है. लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी मीठे जल की झील है.यह अपनी सतह पर तैरते हुए वनस्पति और मिट्टी से बने द्वीपों के लिये पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, जिन्हें "कुंदी" कहा जाता है। झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 280 वर्ग किमी है.

चिल्का झील
चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है. यह ओडिशा राज्य में स्थित है. ठंड के मौसम में कई प्रवासी पक्षियों के यहां आने से इस झील की खूबसूरती भी बढ़ जाती है. यह 1100 वर्ग किलोमीटर में फैली है. झील में बहुत सारी मछलियां हैं और ये कई प्रवासी पक्षियों का घर है. लगभग 52 छोटी-बड़ी नदियां चिल्का झील से जुड़ती हैं. यह झील जलीय वनस्पतियों, जीव जन्तुओं और पक्षी बिहार के आकर्षक नजारों के लिए जानी-जाती है. झील के पास सूर्योदय और सूर्यास्त का समय बहुत ही आकर्षक होता है.

वेम्बनाड झील 
भारत के केरल राज्य की सबसे बड़ी झील वेम्बनाड है. यह भारत की सबसे लम्बी झील भी कहलाती है और इसकी लम्बाई 96.5 किमी (317,000 फीट) है. ये केरल के कोट्टायम से लगभग 15 किमी दूर है. वेम्बनाड को नेहरू ट्रॉफी बोट रेस और सुंदर नजारों के लिए भी जाना जाता है. यह झील हाउसबोट क्रूज़, मछली पकड़ने और पक्षी को देखने के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. आप वेम्बनाड झील क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगे पक्षियों को देख सकते है. झील के आसपास का क्षेत्र विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का घर है जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहद खास जगह बनाते हैं.

वुलर झील
वुलर झील जम्मू और कश्मीर के बांदीपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध झील है. यह भारत की सबसे बड़ी ताजे पानी की झीलों में से एक है. यह झील 30 से 260 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है. वुलर नदी के लिए सबसे बड़ा पानी का सोर्स झेलम नदी है. झील का आकार मौसमी रूप से बदलता रहता है. वुलर झील पर्यटन के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है. कश्मीर के करीब 10,000 लोग अपने रहने खाने के लिए इस पर निर्भर हैं.

सूरजपुर वैटलैंड
सूरजपुर वैटलैंड की गिनती दिल्ली-एनसीआर के बड़े वेटलैंड में होती है जिसका क्षेत्रफल 308 हेक्टेयर का है. इसमें लगभग साठ हेक्टेयर में विशाल झील है और शेष जमीन पर जंगल है. बड़ी झील और आस-पास बड़ी संख्या में पेड़ होने के चलते हर साल ठंड में हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी यहां पर आते हैं. वेटलैंड में बड़ी संख्या में देशी पक्षी रहते हैं लेकिन ठंड में यहां पर विदेशी पक्षी भी आते हैं. यहां पर प्रमुख रूप से स्पेन, मंगोलिया, जापान, रूस, पूर्वी अफ्रीका, चीन, स्कॉटलैंड, अमरीका, यूरोप, कनाडा, ब्रिटेन सहित देशों से पक्षी परिवार के साथ आते हैं.