आर्थिक राजधानी मुंबई में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी है. इस झुग्गी में लाखों लोग छोटी-छोटी गलियों और छोटे-छोटे घरों में रहते हैं. जल्द ही इस झुग्गी का पुनर्विकास भी किया जाना है. मुंबई में ऐसी कई बस्तियां हैं, जहां पर लोगों को झोपड़ी से बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाता है. स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी के सहयोग से इस योजना को पूरा किया जाता है. मुंबई में हर साल लाखों लोग झुग्गी झोपड़ी से एसआरए द्वारा बनाई गई इमारतों में रहने आते हैं.
मुंबई के धोबी घाट इलाके में लोग सालों से छोटे-छोटे घरों में रह रहे हैं. अब इन लोगों को जल्द ही अपने सपनों का आशियाना मिलने जा रहा है. तकरीबन 1000 लोग स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी के तहत बनाए गए इमारतों में रहने जाएंगे. ओंकार रियल्टर्स ने महालक्ष्मी के धोबी घाट पर स्थित मुंबई की सबसे ऊंची एसआरए बिल्डिंग में पहला पुनर्वास घर देना शुरू कर दिया है.
इमारत से दिखता है अरब सागर का नजारा
पहले चरण के तहत 1,000 परिवारों को उनके नए घर मिलेंगे. यह टावर धोबी घाट के सेंटर में बनाए गए हैं. वही इन बिल्डिंग में जो लोग शिफ्ट होंगे उनमें से कई निवासी पारंपरिक धोबी परिवार से भी हैं. यह परियोजना ओमकार ग्रुप और पिरामल रियलटी के बीच एक संयुक्त प्रोजेक्ट है, जिसमें कल्याण केंद्र और बालवाड़ी जैसी सुविधाएं शामिल हैं. नए घरों से महालक्ष्मी रेसकोर्स और अरब सागर का नजारा दिखाई देता है. इस परियोजना को दुनिया की सबसे ऊंची पुनर्वास संरचना के रूप में भी देखा जा रहा है.
300 परिवार शिफ्ट हो चुके
इस बिल्डिंग में तकरीबन अभी के लिए 1000 परिवारों को 300 स्क्वायर फीट का घर मिलेगा. वहीं अभी तक 300 परिवार इस नई बिल्डिंग में रहने भी जा चुके हैं. धोबी घाट इलाके को मुंबई की सबसे पुरानी जगहों में से एक माना जाता है, जहां पर लाखों लोग रहते है. सौंपे जा रहे इन दो टावरों में 11 लिफ्ट लगी हैं. और इनमें चार कल्याण केंद्र, चार बालवाड़ी और 10 सोसायटी कार्यालय जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं. व्यावसायिक इकाइयों को ग्राउंड फ्लोर पर जगह दी गई है, और जिनकी दुकानों के पीछे घर थे उन्हें पहली मंजिल पर घर आवंटित किए गए हैं. कुछ समय पहले तक एक छोटी सी जगह में रहने वाले लोगों को अपने सपनों का घर मिल चुका है.