देश की प्रगति में जैन समाज के लोगों का काफी योगदान रहा है. जैन समाज में धर्म को काफी तवजू दी जाती है. ऐसे में शुक्रवार को मुंबई में एक साथ 17 जैन समुदाय के लोगों ने दीक्षा ली है. ये 17 लोग अब नए सिरे से जीवन शुरू करने जा रहे हैं. इनमें छात्रों से लेकर गृहिणियों तक, हीरों के व्यापारी से लेकर पेशेवरों तक, सीईओ से लेकर दिवालिया हो गए लोगों तक सभी शामिल हैं.
यह सारे लोग अब एक नई यात्रा पर निकल रहे हैं, जहां पर शुरुआत से पहले उन्हें अपने बाल हटाने होंगे. अपने शरीर के चारों ओर एक सफेद कपड़ा लपेटना होगा और एक साधु का जीवन जीना शुरू करना होगा. वहीं मुंबई के महालक्ष्मी में 9 से 68 वर्ष की आयु के 17 अभ्यर्थी ने दीक्षा ली है. इन 17 लोगों में सबसे छोटी है 9 साल की बोरीवली की प्रांशी शाह और साथ ही 68 साल के कांदिवली में रहने वाले चेतन शाह ने भी दीक्षा ली है. साथ ही 14 साल के मुरबाड लैड जो की एक व्यवसायी के बेटे हैं, वे जैन मुनियों के साथ चार साल रह रहैं और अब उन्होंने दीक्षा ली है.
दीक्षा लेने से पहले दीक्षा लेने वाले लोगों को बहुत सारे अभ्यास करने पड़ते हैं. साथ ही जैन साधुओं के साथ रहना पड़ता है. वहीं इस बीच सारी हालातों को मद्देनजर रखते हुए और सारे अभ्यास को पूरा करने के बाद कुछ लोगों को ही दीक्षा के लिए चुना जाता है. बाकी लोगों को फिर से तैयारी करने और कोशिश करने कहा जाता है. वहीं इन लोगो में से सबसे उम्रदराज चेतन शाह 42 साल से दीक्षा लेने के इच्छुक लंबे समय से थे लेकिन उन्हें कभी दीक्षा नहीं दी जा रही थी ऐसे में 68 साल की उम्र में उन्होंने 3 फरवरी को दीक्षा प्राप्त की है.
68 साल के चेतन शाह कहते हैं कि वे एक युवा लड़के के रूप में दीक्षा लेना चाहते थे. मगर जैसा कि किस्मत में था, वे इसके लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने कही कि पिछले साल जब एक वरिष्ठ साधु ने मुझसे कहा कि मैं तैयार हूं तो वह मेरे लिए सुनहरा दिन था. आज मैंने दीक्षा ले ली है.
इस कार्यक्रम के आयोजक पार्श्व शाह ने कहा कि इस कार्यकम में 17 लोगों ने आज दीक्षा ली जिसमें सबसे छोटी लड़की 9 साल की है और सबसे उम्रदराज 68 साल के हैं.