छठ महापर्व में शुद्धता का बड़ा महत्व होता है. शुक्रवार से नहाय खाय के साथ इस पर्व की शुरुआत हो चुकी है. अर्घ्य 30 अक्टूबर को दिया जाएगा. इस दिन सूर्यास्त की शुरूआत 05 बजकर 34 मिनट से हो जाएगी. 31 अक्टूबर यानि सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व समाप्त होगा. लेकिन उससे पहले तीन दिनों तक शहर-शहर घाटों से लेकर घरों तक छठ की रौनक हर ओर नजर आएगी. बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में, लोग उत्साह से पवित्र त्योहार मनाते हैं. इस चार दिवसीय पूजा के हिस्से के रूप में, महिलाएं उपवास करती हैं. छठी मैया को भक्तों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न प्रकार के प्रसाद और व्यंजन का भी भोग लगाया जाता है.
ठेकुआ: मैदा, घी और गुड़ से ठेकुआ बनाया जाता है. छठ पर यह न केवल एक महत्वपूर्ण भोग माना जाता है, बल्कि ठंड के मौसम में यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है.
केला: केला फल प्रसाद के रूप में छठी मैया को चढ़ाया जाता है. केले के अलावा सभी मौसमी फल छठी मैया और सूर्य देव को चढ़ाया जाता है.
खीर: छठ पूजा के दूसरे दिन इस विशेष प्रसाद का बहुत महत्व है. गुड़, दूध और अरवा चावल से बनी खीर 36 घंटे के उपवास की शुरुआत से पहले खाई जाती है.
गन्ना: ऐसा माना जाता है कि गन्ना सूर्य की कृपा से उगाया जाता है, इसलिए गन्ने को प्रसाद के रूप में चढ़ाने का महत्व है.
नारियल: पूजा के दौरान नारियल को प्रसाद के रूप में अर्पित करना शुभ माना जाता है. यह सर्दियों में फायदेमंद भी होता है.
डाभ नींबू: छठ मैय्या को नींबू की एक अनूठी किस्म जिसे डाभ नींबू कहा जाता है, चढ़ाया जाता है. ये बीमारी से बचाने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.
चावल के लड्डू: छठ पूजा के दौरान चावल से बने विशेष लड्डू प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं.