देश में हर तरफ दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है. पश्चिम बंगाल में उत्साह चरम पर है. जगह-जगह पूजा पंडाल बनाया गया है. हुगली के उत्तरपारा बना एक दुर्गा पूजा पंडाल लोगों की बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
उत्तरपारा में बने इस पूजा पंडाल में ओडिशा और तेलंगाना के गरीब जनजातियों के अधिकारों की लड़ाई का सजीव चित्रण किया गया है. इसके साथ ही यह पंडाल पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहा है.
ग्रीन गार्डन दुर्गा पूजा कमेटी ने इस साल की थीम अधिकार रखा है, जो लोगों को खूब रिझा रहा है. लाइट और रोशनी की बेहतरीन कलाकारी को देखने के लिए पूजा पंडाल में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ रही है.
ओडिशा और तेलंगाना राज्य के सीमा पर रहने वाले सौर जनजातियों के लोग सैकड़ों वर्षों से महिलाओं और पुरुषों के लिए समान अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस मंडप के माध्यम से पूजा कमेटी के तरफ से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि आधुनिक समाज में महिलाएं और पुरुष दोनों समान हैं. इसीलिए उनके मंडप में महिला और पुरुषों के ढांचे को सामान बनाया गया है.
मंडप में सौर प्रजाति के जनजाति लोगों के अस्त्र-शास्त्र को भी दिखाया गया है. इसमें दर्शाया गया है कि किस तरह से इस जाति के लोग हाथों में तीर-धनुष लेकर हिरण का शिकार कर अपने भोजन की व्यवस्था करते हैं.
पूजा पंडाल में दिखाया गया है कि कैसे जनजाति लोग वॉच टावर पर चढ़कर इस बात की कड़ी नजर रखते हैं कि कोई दुश्मन उनके क्षेत्र में प्रवेश तो नहीं कर रहा है. कोई जानवर उनके इलाके में आ रहा है या नहीं.
इस मंडप का निर्माण प्लाइवुड, थर्मोकोल, मास्क-मुखोटे से किया गया है. इस पूजा मंडप के बारे में कमेटी के सदस्य दीप्तघोष ने बताया कि इसमें दिखाया गया है कि किस तरह ओडिशा और तेलंगाना सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले जनजाति लोग प्रकृति की गोद में रहते हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिकता के इस युग में भी पर्यावरण का संरक्षण मानव जाति के लिए बेहद जरूरी है.
(भोलानाथ साहा की रिपोर्ट)