पश्चिम बंगाल समेत भारत के कई हिस्सों में दुर्गा पूजा को धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दौरान अलग-अलग थीम के पंडाल बनाए जाते हैं. कई पंडालों की एक थीम भी रखी जाती है जिसका मकसद कोई संदेश देना होता है.
दुर्गा पूजा और ट्रामवेज, कोलकाता की संस्कृति के दो बहुत महत्वपूर्ण पहलू हैं. साल 2023 में, कलकत्ता ट्रामवेज कॉर्पोरेशन की एक पहल दुर्गा पूजा से पहले इन दोनों पहलुओं को एक साथ लाती है.
यह अनूठी पहल शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाने का काम कर रही है. पूजा स्पेशल ट्रैम को बड़ी ही खूबसूरती से सजाया गया है, जिसमें दुर्गा पूजा से जुड़ी ट्रैडिशनल चीज़ें हैं. यह सबसे फेमस दुर्गा पूजा पंडालों के चुनिंदा रूट्स से गुजरेगी.
दुर्गा पूजा के लिए यूनेस्को हैरिटेज टैग और कोलकाता ट्रैमवेज़ की 150वीं सालगिरह मनाने के लिए, कोलकाता ट्रैमवेज़ ने पूजा स्पेशल ट्रैम की शुरुआत की है. इसका जश्न मनाने के लिए समर्पित एक पूजा स्पेशल ट्राम बनाई गई है.
यह ट्रैम कोलकाता में टॉलीगंज-बालीगंज रूट पर दुर्गा पूजा से नए साल तक पूजा स्पेशल ट्रैम चलेगी. इस ट्रैम को ध्यान से देखेंगे तो पहली बोगी की बाहरी दीवारों पर उत्तरी कोलकाता के पारंपरिक कुम्हारों के इलाके 'कुमारतुली' को श्रद्धांजलि देने वाली हाथ से पेंट की गई कलाकृतियां हैं, जो दुर्गा मूर्तियों को गढ़ने के लिए फेमस है.
आर्टवर्क में 'सिंदूर खेला' और 'धुनुची' डांस का भी शामिल है. टॉलीगंज- बालीगंज रूट पर ट्राम अक्टूबर महीने से नए साल तक चलेगी. कोलकाता में ट्राम सबसे पहली बार 1873 में शुरू हुई थी. उसके बाद से लगातार ट्राम ‘सिटी ऑफ ज्वॉय’ और इसकी धरोहर का एक हिस्सा बन चुका है. कोलकाता देश का एकमात्र शहर है जहां ट्राम सेवाएं उपलब्ध हैं और यहां की ट्राम कारों में आमतौर पर दो बोगियां होती हैं.