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धर्म

Mahashivratri 2025: हर दिन किया जाता है महाकाल का श्रृंगार और दिया जाता है नया रूप, देखिए तस्वीरें

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उज्जैन महाकाल को महाकालेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत में सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है. यहां महाशिवरात्रि का त्यौहार नौ दिन तक चलता है. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो देश भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है. इसके अलावा, मंदिर के इतिहास से जुड़ी अलग-अलग कहानियां हैं. 

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महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है. वराह पुराण में कहा गया है कि महाकालेश्वर पृथ्वी के केंद्रीय बिंदु या नाभि पर स्थित है, जिसे उज्जैन राज्य के रूप में जाना जाता है. हर दिन महाकाल का श्रृंगार करके उन्हें अलग-अलग रूप दिए जाते हैं. 

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ऐसा माना जाता है कि उज्जैन के पूर्व राजा चंदप्रद्योत के पुत्र कुमारसेन ने छठी शताब्दी ईस्वी में मंदिर का निर्माण कराया था. बाद में 12वीं शताब्दी में राजा उदयादित्य और राजा नरवर्मन के नेतृत्व में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. उज्जैन महाकाल भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. 

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मान्यता है कि दूसरे सभी ज्योतिर्लिंग स्थापित किए गए हैं, जबकि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी स्वयंभू है. यह 18 महाशक्तिपीठों में से एक है. यह भारत के सात मुक्ति स्थलों में से एक है. इस मंदिर के पीछे की किंवदंती है कि देवी सती का ऊपरी होंठ इस स्थान पर गिरा था, इसलिए इसे शक्ति के रूप में महाकाली नाम दिया गया. 

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मंदिर के पुजारी अनुष्ठान करते समय हाल ही में दाह संस्कार किए गए शव की राख का उपयोग करते हैं. इसे भस्म आरती के नाम से जाना जाता है जो सुबह 4:00 बजे शुरू होती है. मंदिर की दूसरी मंजिल पर स्थित ओंकारेश्वर पूरे वर्ष भक्तों का स्वागत करता है. 
भक्त केवल नाग पंचमी के अवसर पर शीर्ष मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर लिंगम तक पहुंच सकते हैं.