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धर्म

Shri Mahakaleshwar Mandir: सावन में करें श्री महाकालेश्वर के दर्शन, महाकाल के ये रूप मोह लेंगे सबका मन

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ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्र मंदिर हैं; ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं इन जगहों पर प्रकट हुए थे. भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं. ज्योतिर्लिंग का अर्थ है 'स्तंभ या प्रकाश का स्तंभ.' 'स्तंभ' चिन्ह यह दर्शाता है कि इसका कोई आरंभ या अंत नहीं है. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन में है- श्री महाकालेश्वर, जिन्हें महाकाल भी करते हैं. 

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भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है अर्थात इसकी उत्पत्ति स्वयं हुई है. चूंकि काल का अर्थ है 'समय' और 'मृत्यु', इसलिए महाकाल यानी भगवान शिव को समय और मृत्यु का स्वामी कहा जाता है. उज्जैन में महाकाल का मंदिर शिप्रा नदी के किनारे बसा है. 

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आपको बता दें कि यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जिसका मुख दक्षिण की ओर है - दक्षिणामुखी. अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों का मुख पूर्व दिशा की ओर है. ऐसा इसलिए क्योंकि मृत्यु की दिशा दक्षिण मानी जाती है. और भगवान शिव का मुख दक्षिण की ओर है, यह इस बात का प्रतीक है कि वह मृत्यु के स्वामी हैं. दरअसल, लोग अकाल मृत्यु को रोकने के लिए महाकालेश्वर की पूजा करते हैं. 

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महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग का अलग-अलग तरह से श्रृंगार किया जाता है. हर एक श्रृंगार में शिवजी एकदम अलग नजर आते हैं. कभी उन्हें गणपति जी का रूप दिया जाता है तो कभी हनुमान जी. समय-समय पर उनका रूप बदलता रहता है और उनके ये रूप भक्तों का मन मोह लेते हैं. 

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भस्म आरती (राख से अर्पण) यहां का एक प्रसिद्ध अनुष्ठान है. जैसे राख शुद्ध, अद्वैत, अविनाशी और अपरिवर्तनीय है, वैसे ही भगवान भी हैं. खासकर कि सावन में महाकाल के दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व है. 

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महाकाल मंदिर में शिवरात्रि का भी अत्याधिक महत्व है. यहां शिवरात्रि का उत्सव नौ दिन मनता है और नौवें दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है. महाशिवरात्रि पर लाखों लोग दर्शन करने के लिए महाकाल मंदिर पर पहुंचते हैं. 

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ऐसा माना जाता है कि उज्जैन के राजा चंद्रसेन भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे. जब वह प्रार्थना कर रहे थे, एक युवा लड़के, श्रीखर ने उनके साथ प्रार्थना करने की इच्छा की. लेकिन उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गई और उसे सजा स्वरूप शहर के बाहरी इलाके में भेज दिया गया. वहां उसने सुना कि उज्जैन के शत्रु राजा रिपुदमन और सिंहादित्य, दुशानन नामक राक्षस की सहायता से उज्जैन पर आक्रमण करने वाले हैं. 
 

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दुश्मन की साजिश जानकर शिखर ने महादेव से उज्जैन की रक्षा की प्रार्थना की. वृद्धि नामक एक पुजारी ने उसकी प्रार्थना सुनी और उन्होंने भी शिवजी से प्रार्थना की.  इसी बीच प्रतिद्वंद्वी राजाओं ने उज्जैन पर आक्रमण कर दिया लेकिन भगवान शिव अपने महाकाल रूप में आए और उज्जैन को बचा लिया. उस दिन से, भगवान शिव अपने भक्तों की प्रार्थना पर लिंग के रूप में इस प्रसिद्ध उज्जैन मंदिर में रहते हैं. 

(तस्वीरें साभार: ट्विटर)