scorecardresearch

1200 साल से अस्तित्व की खोज में गणेश प्रतिमा, जल्द मिलेगा इस खास जगह नया घर

भगवान गणेश की इस 1200 साल पुरानी प्रतिमा को जल्दी दी राष्ट्रीय संग्रहालय में जगह मिलने जा रही है. इसे लेकर नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी ने ASI को पत्र लिखा था. जल्द ही इसपर फैसला ले लिया जाएगा.

गणेश प्रतिमा को मिलेगी राष्ट्रीय संग्रहालय में जगह गणेश प्रतिमा को मिलेगी राष्ट्रीय संग्रहालय में जगह
हाइलाइट्स
  • गणेश प्रतिमा को मिलेगी राष्ट्रीय संग्रहालय में जगह

कहते हैं इतिहास की कहानियां ही वर्तमान में इतिहास को समझने की परख देती हैं. कुतुब मीनार के प्रांगण में भगवान गणेश की प्रतिमा को सही स्थान मीले इसे लेकर नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी ने ASI को पत्र लिखा था. अब ऐसे में करीब 1200 साल पुरानी इस मूर्ति को लेकर नए स्थान के लिए विचार जारी है. इसे राष्ट्रीय संग्रहालय में भी जगह देने पर विचार किया जा रहा है. 

भगवान गणेश की इस 1200 साल पुरानी प्रतिमा को अगर आप देखेंगे तो इसकी नक़्क़ाशी अपने आप में अदभुत है. ये 9वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के बीच की है. इस प्रकार की कलाकृति प्रतिहार राजाओं के दौर में बनाई जाती थी. कुतुब मीनार के आस-पास के क्षेत्र की अगर बात करें तो यहां प्रतिहार काल में कई तरह के निर्माण कार्य कराए गए थे.

राष्ट्रीय संग्रहालय मिलेगा स्थान 

कुतुब मीनार के ठीक सामने की तरफ जमीन पर रखी इस प्रतिमा को लेकर नेशनल मोन्यूमेंट ऑथोरिटी के चीफ तरुण विजय ने इसको लेकर एएसआई को पत्र लिखा और इस बात की डिमांड की इस अद्भुत मूर्ति को विशेष स्थान दिया जाए. ऐसे में एनएमए की तरफ से कहा गया कि इसको राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थान दिया जाए. 

सरकार की तरफ से देश में ऐसे 60 स्थान है, जहां पर वहीं से प्राप्त अवशेषों को उसी स्थान पर संग्रालय बनाकर रखा गया है. ऐसे में एक प्रस्ताव ये भी है कि कुतुब मीनार में मिल रहे अवशेषों के लिए वहीं परिसर में संग्रालय बनाकर इस प्रतिमा को रखा जाए. 

ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण 

वहीं, इतिहासकार अमित राय जैन कहते हैं कि ये तय किया जाना चाहिए कि आखिर किस स्थान पर इसको शिफ्ट करना है. ये ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. 1192 में कुतुबद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था, ऐसे में करीब 1000 साल बाद भी यहां के दृश्य और यहा फैली कलाकृतियों की स्थिति विवाद को भी जन्म देती है. 

हालांकि, अब इस पूरे मामले में फैसला संस्कृति मंत्रालय को करना है एनएमए और एएसआई दोनों ही मंत्रालय के अधीन हैं. ऐसे में मूर्ति को जल्द सही स्थान मिले इसको लेकर जल्द फैसला किया जाएगा. 

ये भी पढ़ें: