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इटली से भारत आएगी 1200 साल पुरानी बुद्ध प्रतिमा, बिहार के मंदिर से हुई थी चोरी

केंद्र सरकार के प्रयासों से अब तक बहुत सी प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां भारत लौटी हैं. संस्कृति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 1976 से 55 मूर्तियों को भारत लौटाया गया था, उनमें से लगभग 75 प्रतिशत 2014-2021 के दौरान प्राप्त की गई थीं. इसमें से 2014 के बाद 42 मूर्तियों को वापस देश में लाया गया है.

8th century statue of Avalokiteshwara Padamapani (Source: Twitter) 8th century statue of Avalokiteshwara Padamapani (Source: Twitter)
हाइलाइट्स
  • इटली से वापस आएगी भगवान बुद्ध की मूर्ति

  • 22 साल पहले बिहार से चोरी हुई थी मूर्ति

हमारे देश के मंदिर, इनमें लगी प्राचीन मूर्तियां या पुरानी कलाकृतियां हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा हैं. लेकिन कभी विदेशी आक्रमकों के कारण तो कभी अपने ही घर के भेदियों के कारण देश की ये अनमोल धरोहर विदेशी हाथों में पहुंची हैं. 

भारत की बहुत-सी प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियां आज दुनिया के दूसरे हिस्सों में हैं. और इसलिए केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से इस अभियान पर काम कर रही है कि इन मूर्तियों और कलाकृतियों को अपने देश वापस लाया जाए. 

केंद्र सरकार के प्रयासों से अब तक बहुत सी प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां भारत लौटी हैं. संस्कृति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 1976 से 55 मूर्तियों को भारत लौटाया गया था, उनमें से लगभग 75 प्रतिशत 2014-2021 के दौरान प्राप्त की गई थीं. इसमें से 2014 के बाद 42 मूर्तियों को वापस देश में लाया गया है. 

इटली से वापस आएगी भगवान बुद्ध की मूर्ति: 

हाल ही में, कनाडा से मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को वापस काशी लाया गया था. यह मूर्ति 18वीं शताब्दी की है और लगभग 100 साल पहले चोरी हो गई थी. और अब सरकार करीब 1200 साल पुरानी भगवान बुद्ध की प्रतिमा को इटली से वापस भारत लाने जा रही है.

पत्थर की बनी ‘अवलोकितेश्वर पद्मपाणि’ की यह मूर्ति 8वीं-12वीं सदी की है. मूर्ति में भगवान बुद्ध अपने बाएं हाथ में कमल लिए खड़े हैं. इस प्रतिमा को 11 फरवरी 2008 को इटली ने भारतीय वाणिज्यिक दूतावास के हवाले कर दिया है.

22 साल पहले बिहार से चोरी हुई थी मूर्ति:  

बताया जा रहा है कि देवीस्थान कुंडलपुर मंदिर (बिहार) में करीब 1200 सालों तक सुरक्षित रहने के बाद इस मूर्ति को साल 2000 में चोरी कर लिया गया था. हालांकि, भारत से चोरी होकर यह सीधा इटली नहीं पहुंची बल्कि कुछ समय के लिए फ्रांस के कला बाजार में भी इसे रखा गया था. 

लेकिन सिंगापुर इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के प्रयासों से अब यह प्रतिमा एक बार फिर भारत लौट रही है. 

क्यों है यह प्रतिमा खास: 

बात अगर इस प्रतिमा की खासियत की करें तो यह मूर्ति बहुत ही पुरानी है और प्राचीन शिल्पकला से बनी है. साथ ही, भगवान बुद्ध की अवलोकितेश्वर पद्मपाणि मुद्रा को बोधिसत्व कहा जाता है. यह बुद्धों की करुणा और दयाशीलता का प्रतीक है.