संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर 1 मार्च 2024 से श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भव्य मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी 2024 को किया था. ये बीएपीएस मंदिर सोमवार को छोड़कर हर दिन सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहेगा. सभी धर्मों और संप्रदाय के लोगों के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए गए हैं. मंदिर प्रबंधन ने अपनी वेबसाइट पर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसमें ड्रेस कोड से लेकर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के नियम बताए गए हैं.
मंदिर आने वालों को रखना होगा ध्यान
अबू धाबी के इस मंदिर का आप दर्शन करना चाहते हैं तो आपको कुछ नियमों का ध्यान रखना होगा. मंदिर की वेबसाइट पर बताए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक आगंतुकों को ऐसे कपड़े पहनने की सलाह दी गई है, जो उनके कंधों और घुटनों को ढकते हों. कपड़ों पर आपत्तिजनक डिजाइन और नारे भी नहीं लिखे होने चाहिए. टी-शर्ट, टोपी और टाइट फिटिंग ड्रेस पहनकर आने वालों को मंदिर में एंट्री नहीं दी जाएगी.जालीदार या आर-पार दिखने वाले और टाइट-फिटिंग कपड़े न पहनें.बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) ने 'एक्स' पर कहा, प्रतीक्षा समाप्त हुई! अबू धाबी मंदिर को सभी आगंतुकों और श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है.
पालतु पशुओं को लेकर नहीं जा सकते
मंदिर प्रांगण में पालतु पशुओं को भी प्रवेश नहीं देने की बात कही गई है. इतना ही नहीं मंदिर परिसर में बाहरी भोजन और पेय की अनुमति नहीं होगी. मंदिर परिसर में ही सात्विक भोजन उपलब्ध होगा.मंदिर परिसर के भीतर ड्रोन कैमरे या ड्रोन सख्त वर्जित हैं.फोटोग्राफी और रिकॉर्डिंग यदि व्यावसायिक या पत्रकारिता उद्देश्यों के लिए की जा रही है तो इसके लिए संबंधित विभाग से परमिशन लेनी होगी.
अकेले बच्चे नहीं जा सकते मंदिर में
मंदिर में अकेले बच्चे भी नहीं जा सकते. एक वयस्क का बच्चों के साथ होना जरूरी है. मंदिर परिसर के भीतर बैग ले जाने की अनुमति नहीं है. हथियार और नुकीली वस्तुएं, चाकू, लाइटर और माचिस भी मंदिर में नहीं ले जा सकेंगे. पार्किंग क्षेत्रों सहित पूरे मंदिर परिसर में धूम्रपान का उपयोग वर्जित है. मोबाइल फोन का उपयोग मंदिर के बाहरी हिस्से में कर सकेंगे लेकिन मंदिर के भीतर ये सख्त वर्जित है. आगंतुकों को मंदिर के पत्थर की नक्काशी, अलंकरण, पेंटिंग या सुरक्षात्मक आवरण को नहीं छूने का अनुरोध किया गया है. भक्तों का मंदिर की दीवारों पर लिखना और चित्र बनाना सख्त वर्जित है.
क्यों खास है मंदिर
1. मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) स्वामीनारायण संस्था द्वारा किया गया है.
2. यह मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल रहबा के पास अबू मुरीखा में 27 एकड़ में फैला हुआ है.
3. मंदिर के लिए जमीन यूएई सरकार ने दान में दी है. इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है.
4. मंदिर की लागत लगभग 700 करोड़ रुपए है.
5. बीएपीएस हिंद मंदिर खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा है. दुबई में तीन अन्य हिंदू मंदिर हैं.
6. संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाली सात मीनारें, ऊंटों की नक्काशी और राष्ट्रीय पक्षी बाज, मेजबान देश को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए पत्थर के मंदिर की वास्तुकला का हिस्सा हैं.
7. मंदिर सोमवार को छोड़कर सभी दिन सुबह नौ बजे से रात आठ बजे तक खुला रहेगा.