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Agra: इबादतगाह से ज्यादा बिल्लियों के लिए जानी जाती है यह मस्जिद, सालों से है इनका यहां बसेरा

आगरा स्थित संदली मस्जिद को काली मस्जिद और बिल्लियों वाली मस्जिद भी कहा जाता है. यहां 70 से 80 बिल्लियां हमेशा रहती हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से ये मस्जिद बनी है, तब से यहां बिल्लियां रह रहीं हैं.

Sandli Masjid Sandli Masjid
हाइलाइट्स
  • आगरा में मुगलों के समय बनी थी संदली मस्जिद

  • लोगों का मानना है कि यहां आने पर मुरादें हो जाती हैं पूरी

आगरा में मुगलों के समय बनी एक मस्जिद इबादतगाह से ज्यादा बिल्लियों के लिए जानी जाती है. ताजमहल के पूर्वी दरवाजे के पास मौजूद इस मस्जिद का नाम संदली मस्जिद है, लोकिन ये 'बिल्लियों वाली मस्जिद' के नाम से ज्यादा मशहूर है. मस्जिद में आने वाले नमाजियों को बिल्लियों के बीच बैठ कर नमाज पढ़ने के लिए अपनी जगह बनानी पड़ती है.

इतने नामों से जानी जाती है यह मस्जिद
मस्जिद के पास रहने वाले जियाउद्दीन का कहना है, 'इस मस्जिद को संदली मस्जिद, काली मस्जिद और बिल्लियों वाली मस्जिद भी कहा जाता है. यहां 70 से 80 बिल्लियां हमेशा रहती हैं. लोगों का मानना है कि यहां आने पर मुरादें पूरी होती हैं. यहां आने वाले कुछ लोग बिल्लियों को दूध, मीट या कुछ और खाने को दे देते हैं.

जब से मस्जिद बनी है, तब से बिल्लियों का है बसेरा
स्थानीय लोगों और इतिहासकारों का कहना है कि जब से ये मस्जिद बनी है, तभी से यहां बिल्लियों का बसेरा है. मस्जिद की देखभाल करने वाले निजामुद्दीन का कहना है, 'मुझे यहां काम करते हुए करीब 25-26 साल हो गए और मैं तब से यहां बिल्लियों को देख रहा हूं.'

संदली बेगम का है मकबरा
इतिहासकार राज किशोर राजे कहते हैं, 'यहां शाहजहां की बेगम का मकबरा है जिसे संदली बेगम का मकबरा कहते हैं. मकबरे का निर्माण उसी समय हुआ था जब ताजमहल बना था. उसी के पास एक मस्जिद है जिसमें आज भी नमाज अदा की जाती है और बड़ी तादात में बिल्लियां रहती हैं.'

रखरखाव करना नमाजियों की है जिम्मेदारी
इस मस्जिद में रहने वाली बिल्लियों की देखभाल और मस्जिद का रखरखाव करना नमाजियों की जिम्मेदारी है. मस्जिद में आपको हमेशा कम से कम 80 बिल्लियां घूमती हुई नजर आ जाएंगी.