
अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है. इस दिन से सतयुग और द्वापर युग का आरंभ हुआ था. भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था. इस दिन को सर्वसिद्ध तिथि माना जाता है, जिसमें किए गए सभी शुभ कार्यों का फल अक्षय होता है.
शुभ संयोगों का महासंयोग-
इस बार अक्षय तृतीया पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. ज्योतिषाचार्य की माने तो इस बार शुक्र ग्रह अपनी उच्च स्थिति में होंगे, जिससे भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए यह समय अत्यंत शुभ है. गजकेसरी, केदार, कहल, हर्ष जैसे योग भी इस दिन बन रहे हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बना रहे हैं.
अक्षय तृतीया पर 24 साल बाद अक्षय योग बन रहा है. इससे पहले 26 अप्रैल 2001 को अक्षय तृतीया के दिन अक्षय योग बना था. इस दिन गजकेसरी राजयोग, राजयोग, रवि योग, चतुग्रही योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि और शोभन योग और लक्ष्मी नारायण राजयोग बन रहे हैं. यह दुर्लभ तृतीया पर मां लक्ष्णी के पूजन का विधान है.
धार्मिक मान्यताएं-
ज्योतिषाचार्य दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी इसी दिन हुआ था. माता अन्नपूर्णा और माता गंगा का जन्म भी इसी दिन हुआ था. भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को चीरहरण से बचाया था और भगवान कुबेर को खजाना प्राप्त हुआ था. इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल अक्षय होता है.
सोना खरीदने का महत्व-
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार सोने का रंग पीला होता है और यह गुरु ग्रह से संबंधित होता है. इस दिन सोना खरीदने से माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
दान का महत्व-
अक्षय तृतीया पर दान करने का भी विशेष महत्व है. इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन किए गए सतकर्म, स्नान और दान से ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है.
अक्षय तृतीया को आखातीज और कृत युगादी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था और सुदामा से मुलाकात की थी. इस दिन माँ गंगा का अवतरण भी हुआ था.
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