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Amarnath Yatra 2023: बस कुछ ही दिनों में शुरू होगी अमरनाथ यात्रा, इस साल पहले दिन एक-दो नहीं बन रहे चार शुभ संयोग, जानिए महत्व 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने पवित्र अमरनाथ गुफा में माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई ​थी लेकिन वे बीच में ही सो गईं. इस पवित्र अमरनाथ गुफा में हर साल बर्फ का शिवलिंग बनता है और उसकी पूजा की जाती है.

अमरनाथ यात्रा (फाइल फोटो) अमरनाथ यात्रा (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • अमरनाथ यात्रा शुरू होने का शिवभक्त करते हैं हर साल इंतजार

  • हर साल बनता है बर्फ का शिवलिंग 

अमरनाथ प्रमुख तीर्थस्थलों में एक है, जोकि भारत के जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूर समुद्रतल से 13,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. अमरनाथ यात्रा का शिव भक्तों में बेसब्री से इंतजार रहता है. साल 2023 में अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ 1 जुलाई को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हो रहा है. अमरनाथ यात्रा के पहले दिन 4 शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी विशेष बना रहे हैं. 

इस साल 62 दिनों की है अमरनाथ यात्रा 
इस साल अमरनाथ यात्रा 62 दिनों की है. यानी 1 जुलाई 2023 से प्रारंभ होकर 31 अगस्त 2023 तक यह यात्रा चलेगी. श्रावण पूर्णिमा के दिन इसका समापन होगा. बाबा अमरनाथ की यात्रा बेहद ​कठिन होती है, इसके लिए कई मौसम संबंधी चुनौतियों को पार करना होता है. कभी ठंड तो कभी बारिश का मौसम हर कदम पर शिव भक्तों की परीक्षा लेता है. 

बन रहे ये शुभ संयोग
1. पंचांग के आधार पर देखा जाए तो इस साल अमरनाथ यात्रा के शुभारंभ पर यानि पहले दिन 4 शुभ संयोग बन रहे हैं. पहला शुभ संयोग है शनि प्रदोष व्रत. इस दिन शनि प्रदोष का व्रत रखकर शाम में शिव पूजा करते हैं, इससे संतान सुख प्राप्त होता है.
2. अमरनाथ यात्रा के प्रारंभ वाले दिन दूसरा शुभ संयोग है शिववास का. 1 जुलाई को प्रात:काल से ही शिववास है. इस दिन भगवान शिव का वास नंदी पर रात 11 बजकर 07 मिनट तक है. शिववास रुद्राभिषेक के लिए जरूरी होता है.
3. इस दिन तीसरा शुभ संयोग है रवि योग. 1 जुलाई को रवि योग दोपहर 03 बजकर 4 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, अगले दिन सुबह 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.
4. इस दिन चौथा संयोग है शुभ योग और अनुराधा नक्षत्र. अमरनाथ यात्रा के पहले दिन प्रात:काल से शुभ योग बना है और अनुराधा नक्षत्र है. शुभ योग रात 10 बजकर 44 मिनट तक है और उसके बाद से शुक्ल योग है. वहीं अनुराधा नक्षत्र दोपहर 03 बजकर 04 मिनट तक है, उसके बाद से ज्येष्ठा नक्षत्र प्रारंभ है.

प्राकृतिक रूप से बनता है शिवलिंग 
अमरनाथ गुफा का रहस्य यह है कि, यहां शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है. यानी यहां शिवलिंग का निर्माण नहीं किया जाता, बल्कि स्वयं शिवलिंग बनता है. गुफा की छत से बर्फ की दरार से पानी की बूंदें टपकती है, जिससे बर्फ का शिवलिंग बनता है. शिवलिंग के बगल में ही अन्य दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, जिसे भक्त माता पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक मानते हैं. अमरनाथ गुफा का शिवलिंग दुनिया का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है, जोकि चंद्रमा की रोशनी के चक्र के साथ बढ़ता और घटता है. सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह पूरे आकार में रहता है और अमावस्या तक इसका आकार घटने लगता है. यह घटना प्रत्येक साल होती है. 

अमरनाथ यात्रा का इतिहास
पवित्र अमरनाथ गुफा का दर्शन सबसे पहले महर्षि भृगु ने किया था. कहा जाता है कि एक बार कश्मीर घाटी जब पूरी तरह से पानी में डूब गई थी, तो महर्षि कश्यप ने नदियों और नालों के माध्यम से पानी को बाहर निकाला. उन दिनों ऋषि भृगु हिमालय की यात्रा पर उसी रास्ते से आए थे. वे तपस्या के लिए एकांतवास की खोज में थे. इसी दौरान उन्होंने बाबा अमरनाथ की गुफा का दर्शन किया. इसके बाद से ही हर साल अमरनाथ में सावन मास में पवित्र गुफा के दर्शन करने की शुरुआत हुई. 

अमरनाथ यात्रा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने पवित्र अमरनाथ गुफा में माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई ​थी. लेकिन वे बीच में ही सो गईं. इस पवित्र अमरनाथ गुफा में हर साल बर्फ का शिवलिंग बनता है और उसकी पूजा की जाती है. बाबा अमरनाथ की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कष्ट दूर होते हैं. पुराणों में भी कहा गया है कि काशी में लिंग दर्शन और पूजन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से हजार गुना अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन करने से मिलता है.