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Anant Chaturdashi 2022: अनंत चतुर्दशी पर बन रहा है सुंदर योग, इस दिन उपवास करने से मिलेगा रोग, ऋण और क्लेश से छुटकारा

Anant Chaturdashi 2022: इस साल 9 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाएगा. अनंत चतुर्दशी के दिन नारायण भगवान का ध्यान करके, उनका पूजन और उपवास किया जाता है. इसी दिन गणेश विसर्जन की भी परंपरा है.

Anant chaturdashi 2022 Anant chaturdashi 2022
हाइलाइट्स
  • 9 सितंबर को है अनंत चतुर्दशी

  • किया जाएगा गणेश विसर्जन

  • नारायण भगवान का होता है उपवास

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में इसका बहुत ज्यादा महत्व है. इस दिन भगवान नारायण का पूजन और उपवास किया जाता है. साथ ही, इसी दिन भगवान गणेश का विसर्जन होता है. इस साल 9 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जा रही है.  

हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य, पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि अनंत चतुर्दशी नाम से ही इसका महत्व पता चलता है.अनंत अर्थात जिसका न आदि हो और न अंत हो. ऐसी दो ईश्वरी शक्ति हैं- दोनों ध्रुव, भगवान शिव और भगवान नारायण. अनंत चतुर्दशी भगवान नारायण के पूजन का पर्व है. 

क्या है अनंत चतुर्दशी का महत्व
पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि अनंत नाम भगवान नारायण ने अपने परम सेवक और भक्त, शेषनाग को भी दिया है. अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है कि आज के ही दिन भगवान ने सुतल, तल, पाताल जैसे 14 भुवनों की रचना की थी. 

इन्हीं 14 तलों के ऊपर भगवान ने अपने एक-एक स्वरूप को रखा और इसलिए भगवान के 14 स्वरूप के जब दर्शन होते है तब वह अनंत दिखते हैं. इसलिए भी नारायण भगवान को अनंत कहते हैं. उनके द्विभजी रूप हैं. 

पांडवों ने किया था उपवास 
पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने अनंत चतुर्दशी का इतना अधिक महत्व बताया है कि जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार गए थे. और वन-वन भटक रहे थे तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का उपवास करने को कहा. श्रीकृष्ण ने कहा कि इस दिन उपवास करने से उन्हें निश्चित ही अपने राज्य की पुनः प्रतिस्थापना करने का अवसर प्राप्त होगा.

पांडवों ने अनंत चतुर्दशी का उपवास किया और सब जानते हैं कि उन्होंने अधर्म पर विजय पाकर धर्म की स्थापना की थी. 

बन रहा है सुंदर योग 
अनंत चतुर्दशी के दिन लोग गणेश जी का विसर्जन करते हैं, वह अपने घर से आज गणेश जी को विसर्जन के लिए लेकर जाते हैं. पंडित मनोज का कहना है कि इस बार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी, सुकर्मा योग में आई है. यह इतना सुंदर योग है कि जो व्यक्ति किसी भी प्रकार से अभाव से ग्रस्त हो, उसका इस दिन उपवास करने से उद्धार होगा.  

वह व्यक्ति पूरे दिन का उपवास करे. शाम को भगवान के 14 नामों का स्मरण करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके भगवान का पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन करे. पूजा के बाद भगवान का प्रसाद वितरण करें. जीवन में ऐसी कोई मन इच्छा नहीं, कोई अभाव नहीं जो इस व्रत को पूर्ण करने से पूरी न हो. 

क्या है व्रत की विधि
पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि यह व्रत सुबह से शाम का होता है. इसमें एकादशी की तरह अगले दिन का परायण नहीं होता. इस दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान करके भगवान के स्वरूप शालिग्राम या किसी तस्वीर में चतुर्भुज रूप का पूजन करें. इसके बाद, पूरे दिन फलाहार ही रहें. अन्न-नमक एक ही समय ले सकते हैं और वह भी शाम को. 

इस दिन साधारण नमक की बजाय सेंधा नमक का प्रयोग करेंगे. पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि इस बार 9 तारीख को अनंत चतुर्दशी है. यह तिथि सूर्यास्त तक रहेगी तो पूरे दिन की मानी जाएगी. 

रोगों से मिलेगा छुटकारा
अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से सब प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है. अगर कोई रोगी खुद व्रत न कर सके तो परिवार में का कोई भी व्यक्ति, उनके लिए उपवास कर सकता है. उन्हें बस रोगी के सिरहाने या रोगी का हाथ लगवा कर मात्र अनार भगवान नारायण के चरणों में रखना है और फिस इसे किसी पशु को खिला दें या जल में प्रवाहित कर दें. 

इस व्रत को करने से ऋण से भी छुटकारा मिलता है. आप मात्र लोंग अपने हाथ से भगवान को अर्पण करें और उसको प्रसाद स्वरूप लोगों में बांट देंय अन्यथा किसी शुभ जगह पर रख देंय आप ऋण मुक्त होने शुरू हो जाएंगे. घर के अंदर किसी प्रकार से क्लेश रहता हो, तो उन लोगों को अनंत चतुर्दशी के उपवास के बाद जायफल अपने हाथ से भगवान को अर्पण करना चाहिए और फिर इस जल में प्रवाहित कर दें या पीपल जैसे पेड़ में रख दें. आपके घर का क्लेश तुरंत ही समाप्त हो जाएगा. 

(मुदित की रिपोर्ट)