हिंदू कैलेंडर के हिसाब से 25 जून से आषाढ़ का महीना शुरू हो चुका है. आषाढ़ माह विशेषकर जून और जुलाई के बीच पड़ता है. इसको सबसे पवित्र महीना माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार, आषाढ़ के महीने में चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में मौजूद होता है, इसलिए इस महीने का नाम आषाढ़ रखा गया है. यह माह 24 जुलाई को समाप्त होगा. इस माह में भगवान जगदीश स्वामी की रथ यात्रा समेत शीतलाष्टमी, योगिनी एकादशी, मासिक शिवरात्रि, गुप्त नवरात्रि, विनायक चतुर्थी, ईद उल अजहा, हरिशयनी एकादशी जैसे कई सारे व्रत और त्यौहार भी आते हैं.
सो जाते हैं भगवान
आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी आती है, इस दिन से देवी-देवता चार माह के लिए शयन करने चले जाते हैं. इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. इस दिन से सभी मांगलिक कार्यक्रम जैसे कि शादी ब्याह, मुंडन आदि रोक दिया जाता है. इसके बाद चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवता शयन से जागते हैं, जिसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है.
दान का विशेष महत्व
ऐसा मानना है कि आषाढ़ माह जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है इसलिए इस माह को में अधिक दान-पुण्य करना चाहिए. आषाढ़ मास में खड़ाऊं, छाता, नमक, तांबा, कांसा, आंवला, मिट्टी का पात्र, गेहूं, गुड़, चावल, तिल दान करना शुभ माना जाता है. यह माह हवन के लिए भी उत्तम माह माना जाता है. घर और कार्यस्थल पर हवन कराने से उन्नति मिलती है.
किन बातों का रखें ध्यान
चूंकि इस महीने में बारिश की शुरुआत भी होती है इसलिए संक्रमण के फैलने का खतरा भी अधिक रहता है. ऐसे में आपको बचाकर रखें. लू से खुद को बचाने के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार लें और उबला पानी पिए. इस मौसम में पेट संबंधित रोग होने की अधिक सम्भावना होती है. ऐसे में लोगों को हरी सब्जियों को खाने से बचना चाहिए. बेल के जूस का सेवन नहीं करना चाहिए. शारीरिक श्रम, योग, खेल कूद आदि को करें.