एशिया की सबसे बड़ी भगवान कुबेर की प्रतिमा विदिशा जिला संग्रहालय में है. ये प्रतिमा 2200 साल पुरानी है. इसकी ऊंचाई 12 फीट है. इस प्रतिमा की पूजा हर साल धनतेरस के दिन होती है. बड़ी संख्या में लोग इस प्रतिमा की पूजा करने आते हैं. चलिए आपको इस प्रतिमा के बारे में बताते हैं.
2200 साल पुरानी है कुबेर की प्रतिमा-
विदिशा जिला संग्रहालय में रखी हुई भगवान कुबेर की प्रतिमा 2200 साल पुरानी है. यह प्रतिमा 7वीं-8वीं शताब्दी की बताई जाती है. यह 12 फीट ऊंची प्रतिमा खड़ी मुद्रा में है. इस प्रतिमा के एक हाथ में धन की थैली है. फिलहाल इसे जिला पुरातत्व संग्रहालय में रखा गया है.
नदी में मिली थी प्रतिमा-
कुछ साल पहले धन कुबेर की मूर्ति बेतवा नदी घाट पर मिली थी. शहर के लोग इसे चट्टान समझकर इस पर कड़े धोते थे. दशकों तक इसपर कपड़े धोने का काम चलता रहा. एक साल जब बारिश कम हुई और नदी का पानी कम हुआ तो मूर्ति दिखाई दी. इसके बाद मूर्ति को नदी से निकाला गया.
जिला संग्रहालय में करीब साढ़े 6 फीट की एक यक्षी की प्रतिमा भी है, जिनको धन कुबेर की पत्नी माना जाता है. धनतेरस के दिन उनकी भी पूजा होती है.
देश में कुबेर की 4 बड़ी प्रतिमाएं-
भगवान कुबेर को धन का देवता माना जाता है. देशभर में भगवान कुबेर की 4 बड़ी प्रतिमाएं हैं. पहली सबसे बड़ी प्रतिमा विदिशा में है. जबकि दूसरी प्रतिमा उत्तर प्रदेश के मथुरा में है. भगवान कुबेर की तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा बिहार के पटना में है. चौथी सबसे बड़ी प्रतिमा राजस्थान के भरतपुर में है. विदिशा ऐतिहासिक नजरिए से भी खास है. पहले इसाक नाम भेलसा था, जो सम्राट अशोक की ससुराल थी.
(विदिशा से विवेक सिंह ठाकुर की रिपोर्ट)
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