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Havan Kund in Ram Temple: वाराणसी के विद्वान बनवाएंगे राम मंदिर के हवन कुंड, शास्त्रीय विधि से होगा निर्माण

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के विराजने का समय नजदीक आ रहा है. ऐसे में, लगातार राम मंदिर का निर्माण कार्य जोरों पर है. यहां पर हर एक चीज का निर्माण शास्त्रीय तरीकों को याद रखकर किया जा रहा है.

Havan Kund Havan Kund

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए दो मंडपों में कुल 9 हवन कुंड शास्त्रीय विधि से बनाए जाने हैं. इन कुंडों को बनाने की जिम्मेदारी काशी के विद्वानों को मिली है। इसके पहले रामलला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में कर्मकांड और मुहूर्त की जिम्मेदारी काशी के विद्वानों को मिल चुकी है.

हाल ही में, काशी से अयोध्या के लिए 5 सदस्यी दल कुंड निर्माण के लिए रवाना हुआ है. इस दल में कर्मकांडी विद्वान अरूण दीक्षित, पंडित सुनील दीक्षित, अनुपम कुमार दीक्षित और पंडित गजानन जोधकर के साथ-साथ सांगवेद महाविद्यालय के आचार्य और यज्ञ कुंड निर्माण पद्धति के विशेषज्ञ पंडित दत्तात्रेय नारायण रटाटे भी हैं.

GNT डिजिटल के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में यज्ञ कुंड निर्माण पद्धति के विशेषज्ञ पंडित दत्तात्रेय नारायण रटाटे ने बताया कि 2 मंडपों में कुल 9 कुंड बनाए जाएंगे. जिसमें 8 कुंड 8 दिशाओं में होंगे, जबकि एक कुंड आचार्य के लिए बनाया जाएगा. इन कुंडों के निर्माण में महापंडित विट्ठल दीक्षित रचित मंडप कुंड सिद्धि नामक ग्रंथ से मदद ली जाएगी. इस ग्रंथ में कुंडों के निर्माण की पद्धति और विशेषता के बारे में जानकारी है. इसमें ईश्वर संहिता और पंचरात्रागम में यज्ञ कुंडों की ज्यामिति और परिमाप और शुभ फलों का जिक्र है. 

आठ दिशाओं में अलग-अलग हवन कुंड
उन्होंने बताया कि हवन कुंड की ज्यामिति एक विज्ञान है जो फल देने वाली होती है. इसलिए इसके निर्माण में लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई और गहराई का विशेष ध्यान दिया जाता है. पंडित रटाटे ने बताया कि शास्त्रीय पद्धति से आठों दिशाओं में आठ कुंड बनाए जाएंगे. पूर्व में सर्वसिद्धि दायक चौकोर कुंड, आग्नेय में पुत्र प्राप्ति और कल्याण के लिए योनि कुंड, दक्षिण में कल्याणकारी अर्धचंद्राकार, नैऋत्य में शत्रुनाश के लिए त्रिकोण, पश्चिम में शांति-सुख के लिए वृत्ताकार, वायव्य में मारण और उच्छेद के लिए षडस्त्र कुंड, उत्तर में वर्षा के लिए पद्मकुंड, ईशान में आरोग्य के लिए अष्टासत्र कुंड और ईशान और पूर्व के बीच के सभी सुखों की प्राप्ति के लिए आचार्य कुंड का निर्माण होना है. 

उन्होंने बताया कि प्रत्येक कुंड में तीन सीढियां होंगी, ऊपर की सफेद सीढ़ी विष्णुजी के लिए, बीच की लाल सीढ़ी ब्रह्माजी और अंतिम काली सीढ़ी भगवान रुद्र के आह्वाहन के लिए बनाई जाएगी. पंडित रटाटे ने आगे बताया कि कुंड की लंबाई और चौड़ाई साढे 25 इंच की होगी और उसकी गहराई भी साढ़े 25 इंच की होगी. तीन सीढ़ियां या चार-चार इंच की होगी. कुंड के शास्त्रसंवत तरीके से पूरे पांच अंग बनाए जाएंगे. 

कुंड की निर्माण सामग्रियों के बारे में सहयोगी अनुपम दीक्षित ने बताया कि निर्माण सामग्री में ईंट, बालू, मिट्टी, गोबर, पंचगव्य और सीमेंट का उपयोग किया जाएगा. कुंड का अलग-अलग आकार भले रहेगा, लेकिन उनका क्षेत्रफल एक जैसा ही रहेगा.