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Kuber Teela: यहां धन के देवता कुबेर ने की थी भगवान शिव की पूजा, पीएम मोदी ने रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद किया दर्शन, जटायु की मूर्ति का अनावरण 

Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha: मान्यता है कि धन के देवता कुबेर ने टीले पर भगवान शंकर की पूजा के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी. कुबेर टीला में भगवान शिव का जलाभिषेक किए बिना अयोध्या की यात्रा अधूरी मानी जाती है.

Ayodhya Ram Mandir Ayodhya Ram Mandir
हाइलाइट्स
  • कुबेर टीला पर नौ देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं स्थापित

  • संरक्षण सूची में कुबेर टीला है शामिल

दिनांक 22 जनवरी 2024 इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है. जी हां, इस दिन अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश-विदेश के हजारों अतिथि शामिल हुए. पीएम मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा और संबोधन के बाद मंदिर परिसर स्थित कुबेर टीला जाकर भगवान शिव के मंदिर में पूजा-अर्चना की और जटायु की मूर्ति का अनावरण किया. आइए जानते हैं कुबेर टीला का महत्व क्या है?

कुबेर टीला मार्ग पर स्थापित है जटायु की प्रतिमा
राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया गया है. कुबेर टीला मार्ग पर जटायु की प्रतिमा स्थापित की गई है. पीएम मोदी ने 30 फुट ऊंची बनाई गई जटायु की प्रतिमा का अनावरण किया. 

कुबेर टीला का इतिहास है प्राचीन
कुबेर टीला का इतिहास भी प्राचीन है. माना जाता है कि यह टीला भगवान राम के जन्म से भी पहले से मौजूद था. अयोध्या के महाकाव्यों में भी कुबेर टीला का उल्लेख मिलता है. यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसका महत्व और भी बढ़ने की उम्मीद है.

भगवान कुबेर ने की थी शिवलिंग की स्थापना
मान्यता है कि अयोध्या धन के देवता कुबेर आए थे और टीले पर भगवान शंकर की पूजा के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी. कहा जाता है कि कुबेर टीला में भगवान शिव का जलाभिषेक किए बिना अयोध्या की यात्रा अधूरी होती है. इस मंदिर में शिव जी के अलावा भगवान गणेश, मां पार्वती, भगवान कार्तिकेय, भगवान कुबेर और नंदी सहित नौ देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गईं हैं. नौ देवी-देवियों की मौजूदगी के कारण कुबेर टीला को नौ रत्न भी कहा जाता है. 

भगवान शिव की निकलती थी बारात
शिव मंदिर की दीवारें करीब पांच फुट ऊंची और 2.5 फुट चौड़ी थी. पहले यहां प्रत्येक वर्ष शिव जी की बारात निकलती थी, लेकिन 2005 में परिसर पर हुए आतंकी हमले के बाद यह कार्यक्रम बंद कर दिया गया. राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ श्रीराम भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कुबर टीले का भी पुनरुद्धार करवाया है.

84 कोसी परिक्रमा परिधि में कुबेर टीला है शामिल 
कुबेर टीला का महत्व केवल धार्मिक या पौराणिक ही नहीं है बल्कि इस जगह के पुरातात्विक महत्व को भी स्वीकार किया जा चुका है. वर्ष 1902 में एडवर्ड अयोध्या तीर्थ विवेचनी सभा ने रामनगरी में 84 कोसी परिक्रमा परिधि में जिन 148 स्थानों को चिह्नित किया था, उनमें कुबेर टीला भी शामिल है. बाद में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने भी अयोध्या जिले में जिन 8 स्थानों को संरक्षण सूची में स्थान दिया था, उनमें कुबेर टीला भी शामिल है. 

यही समय है, सही समय है...
पीएम नरेंद्र मोदी ने जटायु की मूर्ति पर फूल अर्पित किए. इसके साथ ही पीएम मोदी ने राम मंदिर निर्माण दल का हिस्सा रहे कार्यकर्ताओं पर फूलों की वर्षा की. प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि आज मैं पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि कालचक्र बदल रहा है, यह सुखद संयोग है कि हमारी पीढ़ी को एक कालजयी पथ के शिल्पकार के रूप में चुना गया है. हजारों वर्ष बाद की पीढ़ी राष्ट्र निर्माण के हमारे आज के कार्यों को याद करेगी इसलिए मैं कहता हूं, यही समय है, सही समय है.