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Ayodhya Ram Mandir Timeline: 1528 से 2024 तक, जानिए राम मंदिर निर्माण के सफर में कब-क्या हुआ

आयोध्या का नाम सुनते ही सबकी जुबान पर एक ही बात है रामलला की भव्य प्राण-प्रतिष्ठा. हालांकि, यह प्राण-प्रतिष्ठा बहुत लंबे संघर्ष और इंतजार के बाद होने जा रही है. आज जानिए राम मंदिर बनने तक की पूरी टाइमलाइन.

Ram Temple Timeline Ram Temple Timeline

अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन जल्द ही होने वाला है. 22 जनवरी को दोपहर 12.15 बजे से 12.45 बजे के बीच रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या शहर में समारोह की अध्यक्षता करेंगे. उनके साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी शामिल होंगे. 

समारोह में शामिल होने के लिए क्रिकेटरों, मनोरंजन जगत के लोगों और व्यापारियों सहित 7,000 से ज्यादा बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है. आज हम आपको बता रहे हैं राम मंदिर की पूरी टाइमलाइन. 

ब्रिटिश भारत के दौरान विवाद 
मस्जिद का निर्माण वर्ष 1528 में मुगल सम्राट बाबर ने करवाया था. अवध के नवाब वाजिद शाह के शासन में, निर्मोही नामक एक हिंदू संप्रदाय, ने दावा किया कि मस्जिद के लिए रास्ता बनाने के लिए बाबर के युग के दौरान एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था. अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर धार्मिक विवाद पहली बार 1853 में हुआ था. इसके छह साल बाद, अंग्रेजों ने साइट को दो हिस्सों में बांटने के लिए बाड़ लगा दी. मुसलमानों को मस्जिद के भीतर प्रार्थना करने की अनुमति दी गई, जबकि बाहरी परिसर को हिंदूओं को दिया गया. 

जनवरी 1885 में, महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में एक अनुरोध प्रस्तुत किया, जिसमें मस्जिद के बाहर स्थित एक ऊंचे मंच रामचबूतरा पर एक छतरी के निर्माण की मंजूरी मांगी गई. हालांकि, याचिका खारिज कर दी गई. 

बाबरी मस्जिद के अंदर रामलला की मूर्ति - 1949 
बाबरी मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति सामने आई. गोपाल सिंह विशारद नामक व्यक्ति ने देवता की पूजा करने के लिए फैजाबाद अदालत में याचिका दायर की. अयोध्या के निवासी हाशिम अंसारी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि मूर्तियों को हटा दिया जाना चाहिए और इसे मस्जिद ही रहने दिया जाना चाहिए. सरकार ने उस स्थान पर ताला लगा दिया लेकिन पुजारियों को दैनिक पूजा करने की अनुमति दी गई. 

मुसलमानों को प्रॉपर्टी लौटाने की मांग- 1961 
एक याचिकाकर्ता ने मुसलमानों की प्रॉपर्टी लौटाने की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद को बोर्ड की संपत्ति घोषित करते हुए फैजाबाद सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया. 

राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान - 1980s
विश्व हिंदू परिषद पार्टी VHP) के नेतृत्व में एक समिति की स्थापना भगवान राम के जन्मस्थान को "मुक्त" करने और उनके सम्मान में एक मंदिर का निर्माण करने के उद्देश्य से की गई थी. - 1986 में हरि शंकर दुबे की याचिका पर, अयोध्या में जिला न्यायाधीश ने विवादास्पद मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश जारी किया, जिससे हिंदू वहां पूजा कर सकें. 

इसके जवाब में मुसलमानों ने विरोध स्वरूप बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया. कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में, राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाबरी मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश दिया. कोर्ट के फैसले से पहले सिर्फ हिंदू पुजारी को ही सालाना पूजा कराने का अधिकार था. फैसले के बाद, सभी हिंदुओं को साइट तक पहुंच की अनुमति दे दी गई, जिससे मस्जिद को हिंदू मंदिर के रूप में दोहरी भूमिका मिल गई. 

VHP ने रखी राम मंदिर की नींव - 1989  
VHP ने बाबरी मस्जिद से सटी भूमि पर राम मंदिर का निर्माण शुरू किया. विहिप के पूर्व उपाध्यक्ष, न्यायमूर्ति देवकी नंदन अग्रवाल ने मस्जिद के रिलोकेशन का अनुरोध करते हुए एक मामला दायर किया. इसके बाद, फैजाबाद अदालत में लंबित चार मुकदमों को हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. 

रथ यात्रा - 1990
अपने तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में, भाजपा ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक एक राष्ट्रीय रथ यात्रा का आयोजन किया. इस रैली का प्राथमिक उद्देश्य राम मंदिर आंदोलन के लिए समर्थन व्यक्त करना था, जिसका नेतृत्व उस समय वीएचपी कर रही थी. 

इस जुलूस में संघ परिवार से जुड़े हजारों कार सेवक या स्वयंसेवक शामिल थे. 25 सितंबर, 1990 को गुजरात के सोमनाथ से शुरू होकर यह यात्रा कई गांवों और शहरों से गुजरी. प्रत्येक दिन लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए, यात्रा का नेतृत्व कर रहे लालकृष्ण आडवाणी ने अक्सर एक ही दिन में छह सार्वजनिक रैलियों को संबोधित किया. 

23 अक्टूबर 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया. तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया क्योंकि उनका जुलूस उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पार कर गया था. 

मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया -1992 
6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद को शिव सेना, वीएचपी और बीजेपी के नेताओं की मौजूदगी में कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया. मस्जिद के विनाश से पूरे देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा के दौरान कम से कम 2,000 लोगों की जान चली गई. 

ASI का सर्वेक्षण - 2003 
2003 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विवादित स्थल का सर्वेक्षण किया और मस्जिद के नीचे एक महत्वपूर्ण हिंदू परिसर के साक्ष्य की सूचना दी. हालांकि, मुस्लिम संगठनों ने इन निष्कर्षों पर विवाद किया, जिससे साइट की ऐतिहासिक व्याख्या के संबंध में असहमति जारी रही.

विवादित स्थल का तीन भागों में बंटवारा - 2010 
साल 2010 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस विवाद के बारे में चार टाइटल मुकदमों पर अपना फैसला सुनाया. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि विवादित भूमि को तीन भागों में विभाजित किया जाना चाहिए: एक तिहाई रामलला को दिया जाना चाहिए, जिसका प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा करती है; इस्लामिक वक्फ बोर्ड को एक तिहाई; और बाकी तीसरा निर्मोही अखाड़े को. 

इसके बाद, दिसंबर में, अखिल भारतीय हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड दोनों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला - 2011 
सभी तीन पक्षों - निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड - ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल को 3 हिस्सों में बांटने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला- 2019 
9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को एक ट्रस्ट को ट्रांसफर करने का आदेश दिया. इस ट्रस्ट को राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित किया जाना था. इसके अतिरिक्त, अदालत ने सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक अलग स्थान पर वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया. 

आदेश जारी करने वाली पांच जजों की बेंच का नेतृत्व भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने किया था. विशेष रूप से, वह 17 नवंबर को फैसला सुनाने के ठीक आठ दिन बाद सेवानिवृत्त हो गए. पीठ के अन्य चार न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर थे.

राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट का नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र रखा गया. इस ट्रस्ट में 15 सदस्य शामिल हैं. 

शिलान्यास समारोह — 2020 
5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी. प्रधानमंत्री ने एक पट्टिका का अनावरण भी किया और एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया. 

और अब रामलला का अभिषेक समारोह (प्राण प्रतिष्ठा) - 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है.