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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के लिए क्यों चुना गया है साढ़े 12 बजे का समय? विद्वानों ने बताई वजह 

22 जनवरी को राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त के रूप में मृगशिरा नक्षत्र को लिया गया है. इस दिन संभवत: मध्याह्न में मेष लग्न या तो वृष लग्न लगभग साढ़े 12 बजे मिल सकता है. इसलिए ये समय चुना गया है.

Ayodhya Ram Mandir Ayodhya Ram Mandir
हाइलाइट्स
  • चुना गया है खास समय

  • 12 से 1 बजे के बीच होगी मुख्य पूजा 

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बनकर तैयार नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में बतौर यजमान की भूमिका में शामिल होंगे. इसके लिए पीएम मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण को भी स्वीकार कर लिया है. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में दोपहर में लगभग साढ़े 12 बजे शामिल होंगे. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर क्यों पीएम मोदी के शामिल होने या मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा का यह वक्त क्यों चुना गया है? 

क्यों चुना गया है ये खास समय?

खास बातचीत में कर्मकांड का नेतृत्व करने वाले पिता-पुत्र पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और सुनील दीक्षित ने बताया कि 22 जनवरी को राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त के रूप में मृगशिरा नक्षत्र को लिया गया है. इस दिन संभवत: मध्याह्न में मेष लग्न या तो वृष लग्न लगभग साढ़े 12 बजे मिल सकता है. इन्हीं में से एक लग्न में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होगी.  प्राण प्रतिष्ठा का काम पहले से प्रतिनिधि यजमान के हाथों होगा, लेकिन देश के पहले प्रतिनिधि होने की वजह से राम मंदिर के लोकार्पण और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा. 

12 से 1 बजे के बीच होगी मुख्य पूजा 

इसमें मंदिर के लोकार्पण का संकल्प और मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा की मुख्य विधि संकल्प पीएम मोदी के हाथों होगा और उसी काल में वे भगवान की महापूजा भी करेंगे. इस दौरान देश के सभी हिस्सों से आए हुए वेदों की सभी शाखाओं के विद्वान अपनी-अपनी शाखा के मंत्रों का पाठ करेंगे और राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होगी. उन्होंने आगे बताया कि प्राण प्रतिष्ठा का काम 12 से 1 बजे के बीच में संपन्न हो जाएगा. इसके बाद पूर्णाहुति और भंडारा का काम चलता रहेगा. मुख्य पूजा साढ़े 12 से 1 बजे के बीच में संपन्न हो जाएगी. 

नक्षत्र देखकर होती है पूजा 

उन्होंने आगे बताया कि सभी मांगलिक कार्य अच्छे नक्षत्रों को देखकर किए जाते हैं. उन्हीं नक्षत्रों में से एक मृगशिरा नक्षत्र भी है. उन्होंने बताया कि इस दौरान मेष या वृष लग्न में से कोई एक लग्न रहेगा. उन्होंने पूजन विधि के बारे में बताया कि पूजन के दौरान चारों वेदों के 6 शाखाओं या और भी शाखाओं के विद्वान मौजूद रहेंगे. वेदों का परायण, मूर्ति संपन्न विशेष मंत्रों से होगा, द्रव्यों, औषधियों से भगवान रामलला का स्नान होगा। इसके अलावा भगवान को कई द्रव्यों में अधिवासन कराया जाएगा. जिसमें जलाधिवास, अन्नाधिवास, रत्ना अधिवास, धन्य अधिवास, फलाधिवास और पुष्पाधिवास कराया जाएगा. फिर मूर्ति को संपन्न कराने के बाद मूर्ति का भ्रमण कराया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि कर्मकांड के लिए पूरे देश के 150 विद्वानों के आने के संभावना है. जिसमें काशी से ही 50-75 तक विद्वान रहेंगे,  जिनके निर्दशन में ही प्राण प्रतिष्ठा होगी. 

वहीं काशी हिंदू विवि के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो माधव जनार्दन रटाटे ने बताया कि जब रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी वह वक्त ऋषियों का वक्त होता है. भगवान श्रीराम का जन्म रामनवमी के दिन मध्याह्न काल में हुआ था. भगवान का वराह अवतार भी मध्याह्न में हुआ था. इसी प्रकार से भगवान के अनेक अवतार मध्याह्न में ही हुए है. उन्होंने आगे बताया कि मध्याह्न में अभिजीत मुहूर्त भी 12 बजे के बाद मिलता है. अगर इस वक्त राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होती है तो राम मंदिर अनन्तकाल तक चिरस्थाई बना रहेगा. काशी के ज्योतिषियों की ओर से निकाला गया मुहूर्त शुभ है जब मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी.