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Ayodhya Ramlala Updates: दो धागे श्रीराम के लिए! अयोध्या में रामलला की मूर्ति के लिए 12 लाख लोग आए कपड़े बुनने

इसमें हर व्यक्ति को दो धागे दिए गए और हथकरघे पर बुनकरों ने उनकी सहायता की. ये कार्यक्रम सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक चलता था, लेकिन लंबी लाइनें पहले से लग जाती थीं.

Ram Mandir Ram Mandir
हाइलाइट्स
  • यूपी के मुख्यमंत्री को सौंपे जाएंगे कपड़े 

  • बुनाई में शामिल है विज्ञान और गणित 

रामलला की मूर्ति को देखने के लिए सभी लोग आतुर हैं. अब इसी कड़ी में राम की मूर्ति के लिए कपड़े बुनने में हाथ बंटाने के लिए 12,36,700 से अधिक लोग पुणे आए थे. इस पहल को दो धागे श्री राम नाम दिया गया है. 10 दिसंबर से शुरू हुई ये पहल 13 दिनों तक चली. इस दौरान धोती, अंगरखा और उत्तरिये (धोती के साथ पहने जाने वाले दुपट्टे का प्रकार) को बैंगनी, हरे और पीले जैसे आठ रंगों में बना गया. अब इन्हें सौदामिनी हैंडलूम में प्रदर्शित किया जाएगा. 12 जनवरी को पूरे दिन एफसी रोड पर मौजूद इस साड़ी शोरूम एक ग्लास केस में इसे रखा जाना है. 

कैसे हुआ ये आयोजन?

दो धागे श्री राम पहल का आयोजन सौदामिनी हैंडलूम ने की थी. इसके लिए शोरूम के सामने एक पंडाल में दो हैंडलूम बनाए गए थे और सड़क के पार एक पेट्रोल पंप पर छह और हैंडलूम स्थापित किए गए थे. इस पहल का प्रचार ज्यादातर सोशल मीडिया के साथ-साथ होर्डिंग्स से किया गया. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें हर व्यक्ति को दो धागे दिए गए और हथकरघे पर बुनकरों ने उनकी सहायता की. ये कार्यक्रम सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक चलता था, लेकिन लंबी लाइनें पहले से लग जाती थीं. दरवाजे सुबह 7.30 बजे खुलने शुरू हो जाते थे और हैंडलूम रात 9 बजे के काफी देर बाद तक खुला रहता था. 

यूपी के मुख्यमंत्री को सौंपे जाएंगे कपड़े 

16 जनवरी को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या में राम मंदिर के लिए कपड़े सौंपे जाएंगे. हालांकि, यह अभी पक्का नहीं है कि 22 जनवरी को जब मंदिर का उद्घाटन होगा तो मूर्ति पर क्या लपेटा जाएगा. इसे लेकर  

सौदामिनी हैंडलूम की संस्थापक अनाघा घैसास ने कहा, “अभियान आयोजित करने का मेरा उद्देश्य हमारे देश के हथकरघा बुनकरों की ओर ध्यान आकर्षित करना था. 2017 में, अमृता फड़नवीस ने कोल्हापुर में महालक्ष्मी को अर्पित की गई पठानी साड़ी की बुनाई में हजारों महिलाओं का नेतृत्व किया था. 2019 में, हमने दो धागे देश के नाम के रूप में नरेंद्र मोदी के लिए उत्तरीय बनाया था. 

बुनाई में शामिल है विज्ञान और गणित 

अनाघा घैसास आगे कहती हैं, “जब हम हथकरघा पर बैठते हैं तो हमें बुनकरों की विशेषज्ञता का एहसास होता है. बुनाई में शामिल विज्ञान और गणित बहुत अलग हैं. बता दें, अनाघा घैसास भारत की हथकरघा परंपरा को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम कर रही हैं और केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कपड़ा समिति का हिस्सा हैं.