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Baba Baidyanath Dham: बाबा बैद्यनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी, अब 5 रुपए में भरपेट भोजन, धूप से बचाव के लिए शेड और पंडाल की सुविधा

Jharkhand Temple: बाबा बैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर में स्थित एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है. यहां का बाबा बैद्यनाथ मंदिर शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां सावन में खास श्रावणी मेला लगता है. इसे देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.

Baba Baidyanath Dham Baba Baidyanath Dham
हाइलाइट्स
  • झारखंड के देवघर में स्थित है बाबा बैद्यनाथ धाम

  • सावन में यहां लगता है खास श्रावणी मेला

झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां श्रद्धालुओं की सुविधाओं में निरंतर इजाफा किया जा रहा है. यहां देश के कोने-कोने से रोजाना हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर प्रशासन और पुरोहितों की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

श्रद्धालु कर सकेंगे भरपेट भोजन
बाबा बैद्यनाथ धाम में श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में भरपेट भोजन कराने की परंपरा शुरू की गई है. तीर्थ पुरोहित बाबा बलियासी ने बताया, हमारे बाबू जी एक गरीब किसान थे और वो सदा गरीबों के बीच रहे. उनके देहांत का एक महीना हुआ है और उन्हीं की याद में हमने यह पहल की है. इस अन्नपूर्णा भोजनालय में श्रद्धालुओं को महज ₹5 में भरपेट भोजन मिलेगा. रोजाना दोपहर 1:00 बजे से डेढ़ बजे तक श्रद्धालु भोजन ग्रहण कर सकते हैं.

धूप से बचाव के लिए शेड
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं को तेज धूप और भीषण गर्मी से बचाने के लिए शेड और पंडाल भी लगाए हैं. यह शेड लंबी लाइनों को ध्यान में रखते हुए लगाए गए हैं, जिससे दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को धूप और गर्मी से राहत मिल सके. एक श्रद्धालु ने बताया कि व्यवस्था बहुत अच्छी है. अभी तो जल्दी दर्शन हो जाते हैं और धूप से भी राहत मिलती है. बाबा बैद्यनाथ के इस पावन धाम में पूरे साल श्रद्धालुओं की आमद निरंतर जारी रहती है. मंदिर प्रशासन और पुरोहितों की ओर से तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के बाबा के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर सकें.

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बाबा बैद्यनाथ मंदिर की उत्पत्ति हुई थी इस युग में 
देवघर का मतलब होता है देवी-देवताओं का निवास और यह शहर भी कुछ ऐसा ही है जो शिव-शक्ति की भक्ति में लीन है. इस शहर को बारे में लोगों का यही कहना है कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का मिश्रण है. देवघर भारत के उन शहरों में से एक है जो भोलेनाथ को समर्पित हैं. बाबा बैद्यनाथ मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मयूराक्षी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर विश्वप्रसिद्ध है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर की उत्पत्ति त्रेता युग (लगभग 1000 ईसा पूर्व) में हुई थी. माना जाता है कि भगवान राम ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी. हालांकि, मंदिर का मौजूदा स्वरूप पाल साम्राज्य के शासकों ने बनाया था. मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार गंग राजवंश के शासकों ने किया था. 16वीं शताब्दी में यह मंदिर हिंदू संप्रदाय "बैरागी" का एक प्रमुख केंद्र बन गया था और फिर से इसका जीर्णोद्धार किया गया. 18वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार मराठा साम्राज्य ने किया था.

कब है यहां आने का बेस्ट टाइम
बाबा बैद्यनाथ धाम हर साल लाखों भक्तों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, खासकर श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) के दौरान. सावन में यहां खास श्रावणी मेला लगता है. जिसे देखने और घूमने देश-विदेश से लोग आते हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम के बारे में ऐसा माना जाता है कि यहां का ज्योतिर्लिंग स्वयंभू हैं और प्राचीन काल से इसकी पूजा की जाती रही है. दूर-दूर से भक्त आशीर्वाद और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ज्योतिर्लिंग में उपचार करने की शक्तियां हैं, जिससे भगवान शिव को "बैद्यनाथ" की उपाधि मिली, जिसका अर्थ है "चिकित्सकों के भगवान. बाबा बैद्यनाथ धाम प्रमुख शक्ति पीठ है. ऐसा माना जाता है कि माता सती का हृदय देवघर में गिर था, जिससे यह हृदय पीठ या हृदय तीर्थ बन गया. यहां का शक्तिपीठ देवी पार्वती के स्वरूप जया दुर्गा को समर्पित है.