आज से ज्येष्ठ माह की शुरुआत हो रही है. 17 मई से लेकर 14 जून तक ज्येष्ठ माह है. आपको बता दें कि इस महीने में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहते हैं. बड़े मंगलवार के दिन संकटमोचन हनुमान जी की विधि विधान से पूजा की जाती है.
हालांकि, ज्येष्ठ महीने में आने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल क्यों कहते हैं और इसका महत्व जानने के लिए लखनऊ के पंडित चंद्रकांत द्विवेदी जी महाराज, वेद अध्यापक एवं हनुमान सेतु मंदिर व्यवस्थापक से खास बात की.
1. ज्येष्ठ महीने मे पड़ने वाले बड़े मंगल की महिमा क्या है?
द्विवेदी जी: ज्येष्ठ के मंगल की परंपरा नवाब की बेगम आलिया ने शुरू की थी. उनकी पुत्र प्राप्ति की कामना थी जोकि हनुमान जी की पूजा करने के उपरांत पूर्ण हो गई थी और उस दिन भाग्य से जेठ मंगल का दिन था. उसी दिन से ज्येष्ठ मंगल की परंपरा शुरू हुई.
भक्तगण लेट कर जेठ मंगल के दिन प्रार्थना करते हैं. यह परंपरा अभी कुछ दिन पूर्व तक चलती रही थी और जल निगम की गाड़ियां पानी डाला करती थी और भक्तगण लेट कर चलते थे. आज भी कुछ लोग करते हैं लेकिन अब उनकी संख्या सीमित हो गई है. ज्येष्ठ मंगल का महत्व और महिमा यही है कि हनुमान जी से जो भी कोई सच्चे मन से कामना करता था वह पूर्ण होती है.
2. इस बार ज्येष्ठ मास में पांच बड़े मंगल पड़ रहे हैं... इसका क्या महत्व है?
द्विवेदी जी: इस बार प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक हमारे 30 दिन होते हैं. इस बार ज्येष्ठ मास में शुरुआत मंगल से ही हो रही है. 17 मई को प्रतिपदा है और इस कारण से पांच मंगल पड़ रहे हैं. पांच की संख्या शुभ होती है और इसी कारण से इसका महत्व और बढ़ गया है.
3. बड़े मंगल के दिन हनुमान जी की पूजा करने से कौन से पुण्य मिलते है?
द्विवेदी जी: हनुमान जी का दिन मंगलवार माना गया है और ऐसी मान्यता है कि, इस दिन जो भी हम भगवान से मांगते हैं और श्रद्धा से जो भी पूजा अर्पण करते हैं. उसे वह ग्रहण करते हैं. ज्येष्ठ माह का मंगल अब सिर्फ लखनऊ में ही नहीं रह गया है बल्कि अब धीरे-धीरे सभी जगह फैल रहा है और अगर यही परंपरा रही तो मैं मानता हूं कि जिस तरीके से बिहार की छठ अब सारे देश में मनाई जा रही है, ठीक इसी प्रकार ज्येष्ठ का मंगल भी मनाया जाएगा. क्योंकि मंगल का मतलब होता है पूरे विश्व का कल्याण करने वाला.
4. बड़े मंगल के अवसर पर बजरंग बाण और सुंदर कांड का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
द्विवेदी जी: देखिए सिर्फ सुंदरकांड और बजरंगबाण पढ़ना ही जरूरी नहीं है. हनुमान जी के मंत्रों का जाप करने से, हनुमान चालीसा पढ़ने से भी लाभ होता है. जिसका जो सामर्थ हो उसी तरीके से पूजा-अर्चना कर सकता है. हालांकि, बजरंग बाण और सुंदरकांड पढ़ने में ज्यादा वक्त लगता है लेकिन जिस चीज में ज्यादा वक्त लगता है उसके फायदे भी ज्यादा होते हैं. सुंदरकांड एक ऐसी चीज है कि जिस का पाठ और जाप करने से हर चीज सुंदर होती है.
5. इस माह में दान पुण्य करने का क्या महत्व है?
द्विवेदी जी: इस माह में जो भी दान पुण्य किया जाता है वह हनुमानजी के निमित्त किया जाता है. अब ऐसी मान्यता बन गई है कि, ज्येष्ठ माह हनुमान जी के लिए ही है. आज मंगल की पहचान हनुमान जी से ही हो गई है. लखनऊ का कोई भी व्यक्ति यह नहीं बोलेगा कि ये छोटा मंगल है. सभी बोलते हैं कि आज ज्येष्ठ का बड़ा मंगल है.
(सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)