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सज गया है बाबा बद्रीनाथ का दरबार, कल सुबह 7:10 पर खुलेंगे कपाट, जानिए कैसी है बद्रीनाथ धाम की तैयारियां

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट पिछले साल 20 नवंबर को बंद होने के बाद कल, 27 अप्रैल को सुबह 07:10 बजे खुलेंगे. चारधाम यात्रा 2023 अक्षय तृतीया, 22 अप्रैल के शुभ दिन से शुरू हुई. चारधाम तीर्थ यात्रा सर्किट चार मंदिर होते हैं; गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ.

बद्रीनाथ धाम बद्रीनाथ धाम

गंगोत्री, यमुनोत्री, बाबा केदारनाथ के बाद अब बैकुंठ धाम के कपाट भी खुलने वाले हैं. यह वो मंदिर है जहां बारहों महीने भगवान विष्णु जहां विराजमान होते हैं. उस सृष्टि के आठवें बैकुंठ धाम को बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु यहां 6 महीने विश्राम करते हैं और 6 महीने भक्तों को दर्शन देते हैं तो वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि साल के 6 महीने मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो बाकी के 6 महीने यहां देवता भगवान विष्णु की पूजा करते हैं जिसमें मुख्य पुजारी खुद देवर्षि नारद होते हैं. जोशीमठ के नरसिंह मंदिर से शंकराचार्य की गद्दी बद्रीनाथ के लिए रवाना हो चुकी है.

कब खुलेंगे कपाट
27 तारीख की सुबह 7:10 पर बद्रीनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे और इसी के साथ ही उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा शुरू हो जाएगी. इस दिन का चयन टिहरी नरेश करते हैं जो कि एक पुरानी परंपरा रही है. पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि जिस तारीख से वैशाख शुरू हो वही तिथि से बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं और परंपरा के अनुसार नरेंद्र नगर के टिहरी नरेश की तारीख तय करते हैं. 

हालांकी बद्रीनाथ जाने वालों को उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से होकर गुजरना पड़ेगा. वहीं जोशीमठ जहां 3 महीने पहले प्राकृतिक आपदा आई थी और शहर धीरे-धीरे धंस रहा था‌. कई घरों में दरारें आ गई थीं, तो कई सारे व्यावसायिक प्रतिष्ठान तोड़ने पड़े. आज भी उस आपदा के निशान जोशीमठ में जिंदा हैं. लोगों को प्रशासन ने मुआवजा तो दिया विस्थापन की नीति भी बनाई लेकिन कई लोग अपनी जिंदगी जोखिम में डालकर घरों में लौट आए हैं और यहां से जाना नहीं चाहते.

मंदिर खोलने से पहले क्या है परंपरा
बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने से पहले मान्यताओं और परंपराओं के तहत 24 अप्रैल  को गरुड़ जी का बदरीनाथ धाम प्रस्थान अर्थात गरूड़ छाड़ मेला जोशीमठ में श्री नृसिंह मंदिर मार्ग में आयोजित हुआ. 25 अप्रैल को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी  के साथ रावल श्री ईश्वर प्रसाद नंबूदरी जी के साथ गाडू घड़ा श्री योग बदरी पांडुकेश्वर  रात्रि प्रवास हेतु पहुंचे. संतों की यह टोली सुबह 7:10 पर बद्रीनाथ बाबा के कपाट खुलेगी और तब श्रद्धालुओं को भगवान विष्णु के दर्शन प्राप्त होंगे. 

बद्रीनाथ धाम से पहले रास्तों का कायाकल्प किया गया है. सड़के पहले के मुकाबले ज्यादा चौड़ी हो चुकी हैं. गोविंदघाट से रास्ता बद्रीनाथ और सिखों के पवित्र धर्मस्थल हेमकुंड साहिब के लिए अलग होता है. स्थानीय लोग यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हैं.

क्या कुछ हैं तैयारियां?
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी सीमा सड़क संगठन की ओर से पीपीपी की तर्ज पर एक रेस्टोरेंट भी बनाया जा रहा है. अगले 2 दिनों में यह रेस्टोरेंट्स है तैयार हो जाएगा और बद्रीनाथ की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर क्वालिटी का खाना मिलेगा. इस रेस्टोरेंट को चलाने वाले सुरेश शर्मा कहते हैं कि बीआरओ की ओर से रेस्टोरेंट्स पीपी की तर्ज पर चलाया जाएगा और हम श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मुहैया कराएंगे. सड़कों पर मरम्मत का काम अब भी जारी है.

बद्रीनाथ धाम के अंदर भी जगह-जगह निर्माण कार्य और तैयारियां जोरों शोरों पर हैं. संत महात्माओं की टोली बद्रीनाथ पहुंच रही है तो श्रद्धालु भी धाम में पहुंच चुके हैं. दुकान प्रतिष्ठान खुल चुके हैं और लोग कपाट खुलने की तैयारियों में जुटे हैं. धाम में जगह-जगह भंडारा और लंगर की व्यवस्था है ताकि श्रद्धालुओं को प्रसाद मिल सके. बद्री विशाल के नारों के साथ पूरा बद्री धाम दिव्य हो गया है. यात्रा में व्यवसाय संघ से जुड़े विनोद नवानी कहते हैं कि यहां पानी और बिजली की दिक्कत है साथ ही वीआईपी रूट बंद कर दिया गया है और प्रशासन की व्यवस्था ढीली है जिसके चलते लोगों को दिक्कत हो रही है.

Badrinath

जोशीमठ से होकर गुजरती है यात्रा
जोशीमठ जहां प्राकृति आपदा आई थी और घर धंसने लगे थे. लोगों को विस्थापित किया गया था, उनमें से कुछ वापस आ गए हैं. हमने उनसे बात की. गांव के रहने वाले दीपक कहते हैं कि हमें डेढ़ लाख रुपए मिले थे लेकिन अपनी जमीन छोड़कर कहां जाएं क्योंकि जहां प्रशासन हमें भेज रहा था वहां गांव के लोग हमें स्वीकार नहीं करेंगे ऐसे में अपना घर अपनी जमीन छोड़कर हम नहीं जाना चाहते बल्कि खुद इसे ठीक करेंगे और यही रहेंगे. 

मौसम हो सकता है खराब
सालों से जोशीमठ और बदरीनाथ धाम को कवर करने वाले पत्रकार कमलनयन सिरोही बताते हैं कि इस बार पर्यटकों में जोशीमठ की त्रासदी को देखते हुए वहां रहने की इच्छा कम जताई जा रही है बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोग सीधे बद्रीनाथ आना चाहते हैं. कमल बताते हैं कि चूकिं अप्रैल में जब कपाट खुलते हैं तब बर्फबारी होती है ऐसे में आगे भी बारिश हो सकती है जिसके लिए श्रद्धालुओं को तैयार रहना चाहिए.