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14 April को है बैसाखी, मेष संक्रांति और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, इस दिन बन रहे कई शुभ योग, इन कामों को करने से यश, कीर्ति और वैभव की होगी प्राप्ति

14 April 2023 Special Day: मेष संक्रांति को तमिलनाडु में पुथांडु, केरल में विशु, बंगाल में नबा बर्ष या पोहला बोइशाख, असम में बिहु और पंजाब में वैशाखी के नाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. 

भगवान सूर्य और लड्डू गोपाल. भगवान सूर्य और लड्डू गोपाल.
हाइलाइट्स
  • मेष संक्रांति से खरमास हो जाता है खत्म 

  • बैसाखी के दिन खालसा पंथ की हुई थी स्थापना 

Baisakhi-Mesha Sankranti: 14 अप्रैल 2023 को कई शुभ योग बनेंगे. इस दिन बैसाखी, मेष संक्रांति और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी है. इस दिन भगवान विष्णु , सूर्य, लड्डू गोपाल आदि की पूजा करने से यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होगी. आइए सबसे पहले जानते हैं मेष संक्राति का महत्व क्या है. 

मेष संक्रांति 
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मेष संक्रांति के पहले दिन से सौर कैलेंडर के नववर्ष का प्रारंभ होता है. मेष संक्रांति को तमिलनाडु में पुथांडु, केरल में विशु, बंगाल में नबा बर्ष या पोहला बोइशाख, असम में बिहु और पंजाब में वैशाखी के नाम से मनाया जाता है.
मेष संक्रांति में सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. सूर्य के मीन राशि में रहने पर एक माह तक खरमास लग जाता है. मेष संक्रांति से खरमास खत्म हो जाता है. इसके बाद मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, मुंडन और सभी 16 संस्कार शुरू हो जाते हैं.

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ है. इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. प्रत्येक माह यह तिथि आती है तो इसे मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं. इस दिन सभी कृष्ण भक्त व्रत रखकर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा होती है. लड्डू गोपाल की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होत है. संतान की इच्छा पूरी होती है. 

बैसाखी
बैसाखी पर्व को मुख्य रूप से सिख समुदाय के लोग नए साल के तौर पर मनाते हैं. इस दिन किसान अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान और प्रकृति का आभार प्रकट करते हैं. इसी दिन खालसा पन्थ की स्थापना हुई थी.

बिहू 
बिहू असम का प्रमुख त्योहार है. इसे साल में तीन बार मनाया जाता है. अप्रैल के मध्य में बोहाग बिहू  मनाया जाता है.इसमें लोग मौसम की पहली फसल को अपने देवी-देवता को अर्पित करते हैं और ईश्वर से भविष्य में फसलों की अच्छी पैदावार की कामना करते हैं.