बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा भी कहते हैं. बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. मां सरस्वती को ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी कहा जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूरे मन से पूजा करने से उनके साथ मां काली और लक्ष्मी का भी आशर्वाद प्राप्त होता है.
क्या है सही तारीख?
इस साल ये तिथि 25 जनवरी को दोपहरा 12 बजकर 34 मिनट से लेकर अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगी. इसलिए उदया तिथि के हिसाब से इस बार बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी.
बसंत पंचमी पूजा विधि और मंत्र
पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 7 बजकर 7 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इस दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए. इस दिन घर में पीले व्यंजन भी बनाए जाते हैं. पूजा करते समय मां सरस्वती के मूल मंत्र 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः' का जाप करना चाहिए.
बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से जाना जाता है.इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है. ऐसा माना जाता है कि इसके बाद सर्दियां समाप्त हो जाती है. मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान की वृद्धि होती है. इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत करना भी काफी शुभ माना जाता है.
बसंत पंचमी के दिन किए जाने वाले उपाय
जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है वो अगर पीले रंग के फूल से मां सरस्वती की पूजा करते हैं तो उनपर मां की कृपा होती है. ऐसा करने से बच्चे का मन पढ़ाई में लगने लगेगा और बुद्धि भी तेज होगी. इस दिन मां सरस्वती की केसर और पीले चंदन के साथ पूजा करने से पूर्ण लाभ मिलता है.
यदि आपके बच्चे की वाणी स्पष्ट नहीं है तो बसंत पंचमी के दिन उसकी जीभ पर चांदी की सलाई से ओम की आकृति बनाएं. इससे वाणी दोष ठीक होता है. पुरानी मान्यताओं के अनुसार, मां सरस्वती के वीणा के मधुर ध्वनि से सृष्टि के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी की प्राप्ति हुई.
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा करते समय केसर और पीले चंदन का उपयोग जरूर करें. मां सरस्वति को ये चीजें अर्पित करने से बुद्धि का विकास होता है.