केदारनाथ में हर साल ब्रह्मकमल खिलता है. इसका खिलना इसलिए शुभ माना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प है. हर साल यह पुष्प अगस्त या सितंबर के महीने में खिलता है लेकिन, इस बार मई महीने में ही यह खिल गया है. केदारनाथ से लगे रामानंद आश्रम में तीन छोटे-छोटे ब्रह्मकमल के फूल खिले हुए नजर आए.
ब्रह्मकमल का खिलना क्यों माना जाता है शुभ
कहा जाता है कि ब्रह्मकमल भगवान शिव को सबसे प्यारा था. उन्हें ब्रह्मकमल सभी फूलों में से सबसे अच्छा लगता है और केदारनाथ में ही इस फूल का खिलना इसे और ज्यादा शुभ बना देता है. यह एक धार्मि और औषधीय पौधा है.
ब्रह्मकमल फूल की क्या खासियत है
ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प माना जाता है. ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है, यह पूरी केदारघाटी को खुशबु से भर देता है. ब्रह्मकमल पुष्प की कोई जड़ नहीं होती यह पत्तो से ही पनपता है. इसके पत्तों को ही बोकर इसे उगाया जा सकता है.
ब्रह्मकमल उत्तराखंड में ज्यादातर केदारनाथ, चिफला, हेमकुण्ड, ब्रजगंगा और फूलों की घाटी में खिलता है. मान्यता यह भी है कि इसकी पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें निकलती हैं. यहां तक की चिकित्सकीय प्रयोग में इस फूल के लगभग 174 फार्मुलेशन पाए गए हैं.
बेहद प्यारी होती है ब्रह्मकमल की खुशबू
ब्रह्मकमल की खुशबू बेहद मादक होती है. इसलिए भी कहा जाता है कि भगवान इसकी खुशबू से प्रशन्न होते हैं. इसके खिलने से चारों तरफ एक प्यारी सी भिनी-भिनी खुशबू फैल जाती है.
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