नवरात्रि के नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है. इनकी पूजा उपासना करने से समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है. नवमी के दिन अगर केवल इन्हीं की पूजा कर ली जाए तो व्यक्ति को संपूर्ण देवियों की पूजा का फल मिल सकता है. इस दिन कमल के पुष्प पर बैठी हुई देवी का ध्यान करना चाहिए तथा विभिन्न प्रकार के सुगन्धित पुष्प उनको अर्पित करने चाहिए. इस दिन देवी को शहद अर्पित करना चाहिए तथा "ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः" का जाप करना चाहिए.
किस प्रकार करें पूजा उपासना
वासंतिक नवरात्रि के नवें दिन भगवान राम का जन्म हुआ था , अतः इसको रामनवमी भी कहते हैं. मध्य दोपहर मैं कर्क लग्न तथा पुनर्वसु नक्षत्र मैं भगवान का जन्म हुआ था . दोपहर 12.00 से 01.00 के बीच भगवान राम की पूजा अर्चना करनी चाहिए. श्री रामचरितमानस का पाठ करें या श्री राम के मंत्रों का जाप करें . जिन महिलाओं को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो , ऐसी महिलाएं आज के दिन भगवान राम के बाल रूप की आराधना जरूर करेंगी.
नवमी के दिन हवन का विधान क्या है
नवमी के दिन नवरात्रि की पूर्णता के लिए हवन भी किया जाता है. नवमी के दिन पहले पूजा करें , फिर हवन करें. हवन सामग्री में जौ और काला तिल मिलाएं. इसके बाद कन्या पूजन करें. कन्या पूजन के बाद सम्पूर्ण भोजन का दान करें
नवरात्रि का महाउपाय
नवरात्रि की नवमी तिथि को मध्य दोपहर में "राम रक्षा स्तोत्र" का पाठ जरूर करें. इससे आप स्वास्थ्य की समस्या और आयु बाधा से बचे रहेंगे.