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Hindu New Year: 30 मार्च से होगी हिंदू नव वर्ष की शुरुआत, क्या है चैत्र नवरात्रि की भूमिका, जानें

हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. चैत्र नवरात्रि से जुड़ी धार्मिक कथा के मुताबिक महिषासुर नामक राक्षस के आतंक से हर तरह त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ था. इसके बाद सभी देवताओं ने माता पार्वती से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना किया. तब देवी पार्वती ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति को संपन्न किया. कहा जाता है कि ये पूरी प्रक्रिया चैत्र माह के प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर पूरे 9 दिनों तक चला था.

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नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि में नवदुर्गा की उपासना की जाती है. नवरात्रि का पावन पर्व साल में चार बार आता है. चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ के महीने में नवरात्रि आती है. इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. इन दोनों ही नवरात्रि में व्रत करने का विधान है. नवरात्र का उपवास करने और माता दुर्गा की आराधना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. शारदीय और चैत्र नवरात्रि का अपना अलग धार्मिक महत्व है.

चैत्र नवरात्रि-
हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. चैत्र नवरात्रि से जुड़ी धार्मिक कथा के मुताबिक महिषासुर नामक राक्षस का आतंक धरती पर काफी अधिक बढ़ गया था. महिषासुर को वरदान था कि उसे कोई देव या दानव नहीं हरा पाएगा. महिषासुर के आतंक से हर तरह त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ था. इसके बाद सभी देवताओं ने माता पार्वती से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना किया. तब देवी पार्वती ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति को संपन्न किया. कहा जाता है कि ये पूरी प्रक्रिया चैत्र माह के प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर पूरे 9 दिनों तक चला था. मान्यताओं के मुताबिक, तब से ही चैत्र महीने में नवरात्रि मनाने की परंपरा शुरू हुई और 9 दिन माता की पूजा अर्चना के बाद दसवें दिन भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. हालाकि इस बार आठ दिन की नवरात्रि मनाने का योग है और 9 वे दिन राम नवमी मनाई जायेगी.

हिंदू धर्म के वैदिक पंचांग के मुताबिक हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है और साल का समापन चैत्र माह की अमावस्या तिथि पर होता है. हिंदू नववर्ष के साथ चैत्र नवरात्र शुरू होते हैं. इस दौरान अलग-अलग दिन मां दुर्गा के 09 रूपों की पूजा होती है. साथ ही देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए साधक 9 दिन 9 देवियों की विधि विधान से घट स्थापना कर व्रत उपवास करते है और नौ दिन तक मंदिर और घर में आराधना करते है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इससे साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है.

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हिंदू कैलेंडर का पहला महीना है चैत्र-
हिंदुओं के लिए विक्रम संवत एक प्राचीन पंचांग है. बता दें कि हिंदू कैलेंडर का चैत्र पहला महीना और आखिरी महीना फाल्गुन होता है. चैत्र नवरात्र के साथ ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नए विक्रम संवत की शुरुआत होती है. इतिहासकारों की मानें तो इसकी शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी. यह विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है.

शारदीय नवरात्रि-
शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु में प्रारंभ होती है. आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि का पावन उत्सव मनाया जाता है. प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होती है. शारदीय नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार अश्विन माह में ही मां दुर्गा का महिषासुर के साथ पूरे नौ दिनों तक युद्ध चला. दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया था. शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि तब से ही नौ दिनों को शक्ति की उपासना के लिए समर्पित कर दिया गया. इसके अलावा अश्विन महीने में ही शरद ऋतु की शुरुआत होती है, इसलिए भी इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था. शारदीय नवरात्रि को धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक माना जाता है.

(सतना से वेंकटेश द्विवेदी की रिपोर्ट)

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