
हर साल चार नवरात्रि (Navratri) आती है. शरद, चैत्र, माघ और आषाढ़ के महीने में नवरात्रि पड़ती है लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि आदिशक्ति नवरात्रि में अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च (दिन रविवार) से हो रहा है. इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. यह बहुत ही शुभ होता है. नवरात्रि में मां दुर्गा (Maa Durga) के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है.
1. मां शैलपुत्री
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है. मां शैलपुत्री को सती, हेमवती, वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है. मां दुर्गा का यह रूप इच्छाशक्ति और आत्मबल को दर्शाता है. घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री पशु-पक्षियों और सभी जीवों की रक्षक मानी जाती हैं. मां शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण कर वृषभ की सवारी करती हैं. मां शैलपुत्री को स्नेह, करुणा, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है. मां दुर्गा के इस रूप की पूजा-अर्चना करने से भक्त के सभी बुरे प्रभाव दूर होते हैं. इस दिन भक्तों को पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए. माता रानी की पूजा के दौरान लाल फूल अर्पित करने चाहिए. इसके साथ ही गाय के दूध का शुद्ध घी अर्पित करना चाहिए.
2. माता ब्रह्मचारिणी
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को प्रदर्शित करती हैं और जो भक्त मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करते हैं उनके सभी दुख, दर्द और तकलीफें दूर हो जाती हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए. मां की उपासना सफेद फूलों से करनी चाहिए और शक्कर का भोग लगाना चाहिए. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती के हजारों साल कठोर तप करने के बाद उनके तपेश्वरी स्वरूप को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया. वे इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं और सफेद रंग के वस्त्र धारण करती हैं. माता ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है.
3. मां चंद्रघंटा
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है. मां चंद्रघंटा का स्वरूप साहस, वीरता और निर्भयता का प्रतीक है. उनका शरीर स्वर्ण की तरह चमकीला है और मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना है. वे बाघ की सवारी करती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यों और असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटों की टंकार से ही असुरों का नाश कर दिया था. मां के इस स्वरूप की आराधना करने से शक्ति का संचार होता है. हर तरह के भय दूर हो जाते हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा में ग्रे रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इस दिन माता की पूजा लाल फूलों से करनी चाहिए. माता रानी को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाने चाहिए.
4. माता कूष्मांडा
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा की जाती है. शास्त्रों में मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी संबोधित किया गया है. इनके हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सुशोभित है. आठवें हाथ में वे सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला धारण करती हैं. माना जाता है कि मां कूष्मांडा ने ही पिंड से लेकर ब्रह्मांड तक का सृजन किया था. माता कूष्मांडा शेर की सवारी करती हैं. मां कुष्मांडा की पूजा करने से भविष्य में आने वाली सभी विपत्तियां दूर होती हैं. माता कूष्मांडा की उपासना हरी वस्तुओं से करने चाहिए. माता रानी को मालपुए का भोग लगाने चाहिए.
5. मां स्कंदमाता
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चाना की जाती है. मां पार्वती का ही रौद्र रूप स्कंदमाता हैं. इस संबंध में यह कथा है कि एक बार कुमार कार्तिकेय की रक्षा के लिए जब माता पार्वती क्रोधित होकर आदिशक्ति रूप में प्रगट हुईं तो इंद्र देव भय से कांपने लगे. इंद्र देव अपने प्राण बचाने के लिए देवी से क्षमा याचना करने लगे. चूंकि कुमार कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है तो सभी देवतागण मां दुर्गा के इस रूप को मनाने के लिए उन्हें स्कंदमाता कहकर पुकारने लगे और उनकी स्तुति करने लगे. तभी से मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाने लगा. माता के इस स्वरूप की पूजा करने से संतान संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं. इस दिन माता की उपासना पीले फूलों से करें. माता को केले का भोग लगाएं.
6. मां कात्यायनी
चैत्र नवरात्रि की षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया. मां कात्यायनी स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं और स्त्री ऊर्जा का स्वरूप भी हैं. मान्यता है कि देवी कात्यायनी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. माता रानी के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से शीघ्र विवाह का वरदान मिलता है. इस दिन भी माता की उपासना पीले फूलों से करें. साथ ही माता को शहद का भोग लगाएं. इस दिन लाल कपड़े पहनकर मां कात्यायनी की पूजा करें जो बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं. मां कात्यायनी की पूजा करने से हिम्मत और शक्ति में वृद्धि होती है.
7. मां कालरात्रि
चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की आराधना की जाती है. मां कालरात्रि को काली, चंडी, धूम्रवर्णा, चामुंडा नामों से भी जाना जाता है. मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्त के सभी दुखों का अंत हो जाता है. इस दिन माता रानी की उपासना सुगंध और धूपबत्ती से करें. मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाएं.
8. मां महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. माता महागौरी के आभूषण और वस्त्र सफेद रंग के हैं इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बाबा भोलेनाथ को पाने के लिए मां गौरी ने सालों तक कड़ी तपस्या की थी. इस घोर तप में मां गौरी धुल-मिट्टी से ढंक गईं थीं. इसके बाद शिव जी ने स्वयं अपनी जटाओं से बहती गंगा से मां के इस रूप को साफ किया था. माता के रूप की इस कांति को शिवजी ने पुनर्स्थापित किया. इसी कारण उनका नाम महागौरी पड़ा. माता के इस स्वरूप की पूजा करने से मनचाहे विवाह और सुखद वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है. इस दिन माता की पूजा सफेद फूलों से करें. माता रानी को नारियल का भोग अर्पित करें. अष्टमी तिथि पर महागौरी की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
9. मां सिद्धिदात्री
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन होती हैं. इनका वाहन सिंह है. मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं. इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है. बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है. मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार शंकर भगवान ने भी माता सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर इनसे आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं. मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से बुद्धिमता और ज्ञान का संचार होता है. मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा कई तरह के फूलों से करें. माता रानी को काले तिल का भोग लगाएं. इस दिन भक्त को पर्पल रंग का कपड़ा पहनना चाहिए.