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Chardham Yatra: चारधाम यात्रा के लिए 19 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन.... जानिए कब खुलेंगे केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट

चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल से होगी, जिसमें गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे. केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के लिए भी भारी संख्या में पंजीकरण हो चुके हैं.

Chardham Yatra 2025 Chardham Yatra 2025

चारधाम यात्रा की शुरुआत अगले महीने 30 अप्रैल से होने वाली है, लेकिन उससे पहले ही भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है. अब तक 19,00,000 से ज्यादा लोगों ने इस पवित्र यात्रा के लिए पंजीकरण करा लिया है. सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन केदारनाथ धाम के लिए हुए हैं, जहां अब तक करीब 6,48,000 से ज्यादा लोग दर्शन के लिए पंजीकरण करा चुके हैं.

बद्रीनाथ धाम भी श्रद्धालुओं की पहली पसंद में शामिल है, जहां अब तक 5,74,000 से ज्यादा लोग पंजीकरण करवा चुके हैं. यमुनोत्री धाम के लिए 3,00,000 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है, जबकि गंगोत्री धाम के लिए भी रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 3,00,000 से ऊपर चला गया है. 

प्रशासन कर रहा है तैयारियां
सिख श्रद्धालुओं के प्रमुख तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के लिए भी अब तक 32,000 से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. चारधाम यात्रा का शुभारंभ 30 अप्रैल से होगा, जिसमें 30 अप्रैल को ही गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले जाएंगे, वहीं 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खोले जाने हैं. भक्तों की यह यात्रा पूरी तरह सुगम हो, इसी कोशिश में प्रशासन पूरी तरह जुटा है. प्रशासन की तरफ से यात्रा को सुगम बनाने की हर संभव कवायदें हो रही हैं. हर दिन श्रद्धालुओं के पंजीकरण यानी बुकिंग के भी नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. 

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इन दिन शुरू होगी अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ यात्रा 2025 की शुरुआत 3 जुलाई से होगी और समापन 9 अगस्त को होगा. इस बार रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से की जा रही है. रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए श्रद्धालुओं को आधार ऑथेंटिकेशन और कंपलसरी हेल्थ सर्टिफिकेट की आवश्यकता होगी. श्राइन बोर्ड के परमिटेड डॉक्टर्स और मेडिकल इन्स्टिट्यूशन्स के माध्यम से ही हेल्थ सर्टिफिकेट प्राप्त किया जा सकता है.

बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने अमरनाथ ट्रैक पर बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया है. अमरनाथ में बाबा भोलेनाथ बाबा बर्फानी के रूप में मौजूद होते हैं. यहां पूजा विशेष रूप से स्वयंभू हिम शिवलिंग की होती है. यह शिवलिंग गुफा में बर्फ़ के पानी की बूंदों से बनता है और चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ इसका आकार भी बदलता है.