जहां एक तरफ धर्म स्थलों और उन पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर हर तरफ बहस चल रही है. वहीं दूसरी तरफ आगरा के लोहामंडी इलाके में बना पुल छंगा मोदी आपसी सद्भाव की कहानी गुनगुना रहा है. मुगल काल से लेकर अब तक तमाम इतिहास को अपने में समेटे हुए इस पुल के एक तरफ बजरंगबली का मंदिर है और दूसरी तरफ छंगा शाह बाबा की मजार है.
पंडित करते हैं मजार और मंदिर दोनों की देखभाल
मंदिर की देखभाल करने वाले पंडित रमेश शर्मा ही मजार की देखभाल करते है. मंदिर में आस्था रखने वाले मुरारी का कहना है कि ये मंदिर करीब 25 साल पहले बनाया गया था. इससे कई साल पहले छंगा शाह बाबा की मजार यहां बनाई गई थी. पहले यह मजार करीब 100 मीटर दूर नाले के पास थी. एक दुर्घटना में मजार टूट गई थी. उसके बाद छंगा शाह बाबा की मजार यहां बना दी गई. मुरारी का कहना है कि तभी से मंदिर और मजार की देखभाल हम करते हैं. मंदिर के पंडित जी पहले मंदिर में आरती करते है. आरती के बाद मजार पर फूल चढ़ाते हैं और समय-समय पर दिया बत्ती करते है. यह काम शुरुआत से चल रहा है. मुरारी का कहना है कि छंगा शाह बाबा का उर्स साल में एक बार होता है. जिसे हिंदू मुसलमान मिलकर करते हैं. इसी तरह मंदिर के कार्यक्रम भी होते हैं, और उसमें किसी को किसी से एतराज नहीं है.
मुगल शासन काल में बनाया गया था पुल
वर्तमान में पुल छंगा मोदी के नाम से पहचान रखने वाला यह दरवाजा मुगल शासन काल में बनाया गया था. अकबर के शासन काल में आगरा की सुरक्षा के लिए तीन तरफ बाउंड्री बनाकर परकोटा खींचा गया था और पूर्व दिशा में यमुना बहती है. शहर में प्रवेश के लिए चार दरवाजे बनाए गए थे. इन दरवाजों से बाहर से आने वाले लोग शहर में प्रवेश करते थे. मुगल काल में आगरा से जाने वाला यह रास्ता फतेहपुर सीकरी होते हुए राजस्थान तक जाता था. समय के प्रभाव और रखरखाव के अभाव में बाउंड्री तो गायब हो चुकी हैं पर पुल आज भी खड़ा है.
कुछ इस तरह पड़ा इसका नाम...
आगरा नगर निगम से इस वार्ड से तीन बार पार्षद रह चुके हेमंत प्रजापति का कहना है कि कुछ पीढ़ियों से एक कहानी प्रचलित है. एक बार बहुत तेज आंधी और बरसात आ रही थी और इसके नीचे छंगा बाबा खड़े थे. आंधी और बरसात से बचाव के लिए कुछ लोग इसके नीचे खड़े हो गए थे. तभी सफेद कपड़ों में छंगा बाबा ने सब को हटा दिया था यह कहते हुए की यह गिरने वाला है. उनके हटाने के बाद इस दरवाजे का कुछ हिस्सा गिर गया था. इस दुर्घटना के बाद इस गेट की पहचान पुल छंगा मोदी के नाम से हो गई जो अब सरकारी अभिलेखों में भी दर्ज है.
(अरविंद शर्मा की रिपोर्ट)