scorecardresearch

Chhath Puja 2022: क्यों की जाती है छठ पूजा पर सूर्यदेव की उपासना, जानिए दोनों के बीच का खास रिश्ता

इस बार छठ पूजा का आरंभ आज यानी 28 अक्टूबर से हो रहा है. चार दिनों के इस त्योहार को उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा बिहार और झारखंड के लोगों का प्रमुख त्योहार है, लेकिन इसका उत्सव पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलता है. छठ मैया का पुराणों में वर्णन मिलता है.

क्यों की जाती है छठ महापर्व पर सूर्यदेव की उपासना, जानिए दोनों के बीच का बेहद खास रिश्ता क्यों की जाती है छठ महापर्व पर सूर्यदेव की उपासना, जानिए दोनों के बीच का बेहद खास रिश्ता
हाइलाइट्स
  • महाभारत काल से जुड़े हैं छठ पर्व के तार 

  • कौन हैं छठी मैया

  • इस वजह से भगवान सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य

इस बार छठ पूजा का आरंभ 28 अक्टूबर से हो रहा है. चार दिनों के इस त्योहार को उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. वैसे तो छठ अब केवल बिहार का ही प्रसिद्ध लोकपर्व नहीं रह गया है. इसका फैलाव देश-विदेश के उन सभी भागों में हो गया है, जहां इस प्रदेश के लोग जाकर बस गए हैं. इसके बावजूद बहुत बड़ी आबादी इस व्रत की मौलिक बातों से अनजान है. बता दें कि छठ पर्व के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य और छठी मैया की पूजा के साथ इस व्रत का विधिवत पारण किया जाता है. आइए जानते हैं छठ पर्व में क्यों की जाती है सूर्य देव और छठी मैया की पूजा.

महाभारत काल से जुड़े हैं छठ पर्व के तार 

हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है क्योंकि सूर्य की उर्जा के कारण ही धरती पर जीवन सुचारु रूप से चल रहा है. लेकिन छठ पर्व में भगवान सूर्य की पूजा क्यों की जाती है, इस प्रश्न का उत्तर महाभारत काल से मिलता है. किवदंतियों के अनुसार दानवीर कर्ण का जन्म भगवान सूर्य देव के वरदान के कारण हुआ था. उन्हीं के आशीर्वाद के कारण उन्हें कवच, कुंडल और वीरता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था. दानवीर कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे. इसलिए प्रतिदिन वह लम्बे समय तक बिना कुछ खाए-पिए और कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य देव की उपासना करते थे. तभी से अर्घ्य दान के लिए इसी परम्परा का पालन किया जाता है. 

क्यों की जाती है छठी मैया की पूजा

इस व्रत से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं. नहाय-खाय से शुरू होने वाले छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत महाभारत काल से ही हो गई थी. एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राज-पाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने चार दिनों का यह व्रत किया था. इस पर्व पर उन्होंने भगवान सूर्य की उपासना की थी और मनोकामना में अपना राज-पाट वापिस मांगा था. 

कौन हैं छठी मैया

पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठ मैया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही कई जगह इन्हें सूर्य देव की बहन के रूप में भी बताया गया है. इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं. माना जाता है कि माता छठी की उपासना करने से संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है. संतान प्राप्ति के लिए भी माता छठी की उपासना को बहुत कारगर माना गया है.

इस वजह से भगवान सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य

भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं और कई ज्योतिषाचार्य हर दिन सूर्य को अर्घ्य देने का सुझाव देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि रोजाना सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. छठ पर्व में इस क्रिया का महत्व और अधिक बढ़ जाता है और व्यक्ति व उसके परिवार पर भगवान सूर्य की कृपा सदैव बनी रहती है. माना यह भी जाता है कि भगवान सूर्य की आराधना करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है.