
दिवाली हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार है. यह दीपों का पर्व है. दिवाली को आमतौर पर बड़ी दिवाली कहा जाता है. इससे पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है. कार्तिक मास में पड़ने वाली छोटी दिवाली के ही दिन नरक चतुर्दशी और काली चौदस मनाई जाती है. आइए जानते हैं इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा से जुड़ी कुछ जरूरी बातों के बारे में.
छोटी दिवाली 2023 शुभ मुहूर्त
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी इस बार 11 नवंबर यानी आज ही मनाई जा रही है. चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से होगी और चतुर्दशी तिथि का समापन 12 नवंबर को दिन में 2 बजकर 44 मिनट पर होगा. इस दिन अभ्यांग स्नान मुहूर्त 12 नवंबर को सुबह 5 बजकर 28 मिनट से लेकर 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है
हिंदू मान्यता के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. नरकासुर के बंदी गृह में 16 हजार से ज्यादा महिलाएं कैद थीं, जिन्हें भगवान कृष्ण ने आजाद कराया था. तब से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है.
यमराज के नाम का जलाया जाता है दीपक
छोटी दिवाली के दिन शाम में घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यम देव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है. इस कारण इस दिन यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है. सभी पापों का नाश करने और जीवन की परेशानियों से मुक्ति के लिए शाम के समय यम देव की पूजा की भी की जाती है. इस दिन शाम को 05 बजकर 32 मिनट से सूर्यास्त होगा, उसके साथ ही प्रदोष काल शुरू हो जाएगा. ऐसे में आप शाम 05 बजकर 32 मिनट से यम का दीपक जला सकते हैं.
काली चौदस 2023 की पूजा का मुहूर्त
नरक चतुर्दशी पर मां काली की पूजा रात में करते हैं. काली चौदस की पूजा का समय 11 नवंबर को है. इस दिन पूजा का मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है.
हनुमान पूजा 2023 मुहूर्त
नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की भी पूजा करने की परंपरा है. इस साल नरक चतुर्दशी पर हनुमान पूजा 11 नवंबर को रात में होगी. हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है.
पूजा विधि
नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के दिन रूप चौदस का भी त्योहार मनाया जाता है. इस दिन प्रातःकाल तिल का तेल लगा कर स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान जी, यमराज और मां काली के पूजन का विधान है. नरक चतुर्दशी के दिन उत्तर पूर्व दिशा में मुख करके पूजन करना चाहिए. पूजन मुहूर्त में एक चौकी पर पंचदेवों, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव, विष्णु और सूर्यदेव की स्थापना करें. इसके बाद पंचदेवों का गंगा जल से स्नान करा कर, रोली या चंदन से तिलक करें. उन्हें धूप, दीप और फूल चढ़ा कर उनके आवहन मंत्रों का जाप करें.
सभी देवों को जनेऊ, कलावा, वस्त्र और नैवेद्य अर्पित करने चाहिए. इसके बाद सभी देवों के मंत्रों और स्तुति का पाठ करें. पूजन का अंत आरती करके करना चाहिए. पूजन के बाद इस दिन यम दीपक जलाने का विधान है. आटे से बना हुआ चौमुखा दीपक बना कर घर के बाहर चौखट पर जलाया जाता है. प्रदोष काल में दीपक जलाने से घर से दुख-दरिद्रता दूर हो जाती है.