दुनियाभर में क्रिसमस की धूम है. हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. क्रिसमस को लेकर चर्चों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है.ईसाई धर्म के लोगों के लिए इस पर्व का खास महत्व है.आइए जानते हैं क्रिसमस से जुड़ी कुछ प्रमुख परंपराएं जिनके बिना क्रिसमस का त्योहार पूरा नहीं होता है.
क्रिसमस ट्री
क्रिसमस के ट्री को रिबन, गिफ्ट, घंटी और लाइट्स लगाकर सजाया जाता है. यह क्रिसमस की परंपरा का एक अहम हिस्सा है. इस ट्री को चार रंगों से सजाया जाता है. सभी रंगों का विशेष महत्व होता है.
कैरोल गीत
कैरोल गीत प्रभु ईसा के जन्म के समय से भी पहले गाए गए थे. जब प्रभु का जन्म होना था तो स्वर्ग दूत जंगल में गड़रियों को लकड़ी जलाकर आग तापते हुए देखकर उनके पास आए और कहा कि प्रभु का जन्म होने वाला है. उसके बाद देवदूत मंगल गीत गाने लगे. उन्हें गीत गाता देख गड़रियों ने भी गीत गाना शुरू का दिया. उसके बाद जब आधी रात को प्रभु ईशु का जन्म हुआ उससे पहले तक ये गीत गाए गए. ईशु का जन्म बेथलेहम में हुआ था. वहां पर इन गीतों को कैरोल कहा जाता है. तभी से कैरोल गीत (Carol Song) हर क्रिसमस के मौके पर गाए जाते हैं.
गिरिजाघर रोशन करने की परंपरा
क्रिसमस ईसाई धर्म को मानने वालों का सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन का वो लोग सालभर बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस दिन ईसाई लोग अपने घरों और गिरजा घरों को नए रंगों और रोशनियों से सजाते हैं. वही क्रिसमस के दिन गिरजा घरों में कैंडिल या मोमबत्ती जलाने की भी विशेष पंरपरा हैं. इस दिन लोग ईशु की याद में मोमबत्तियां जलाते हैं. उनकी मान्यता है कि ये उनके जीवन में प्रकाश और तरक्की लाता हैं.
रात 12 बजे विशेष प्रार्थना
क्रिसमस की रात में 12 बजे गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना की जाती है. माना जाता है कि ईसा मसीह का जन्म इसी समय हुआ था. क्रिसमस के दिन केक काटने की भी विशेष परंपरा है. क्रिसमस के दिन लोग एक-दूसरे को बधाई संदेश, कार्डस और गिफ्ट देते हैं और उनके आने वाले जीवन में खुशहाली और तरक्की की कामना करते हैं.
सेंटा क्लॉज
मान्यता है कि क्रिसमस के दिन सेंटा क्लॉज बच्चों को स्वर्ग से आकर टाफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटकर वापस स्वर्ग चले जाते हैं. बच्चों को सेंटा क्लाज का इंतजार रहता है. इस दिन घरों में ईसा के जन्म के दृश्यों की झांकी सजाने की भी पंरपरा है. लोग अपने घरों में मां मरियम और गोशाला के उस दृश्य की झांकी या तस्वीर सजाते हैं. क्रिसमस ट्री सजाना भी इस दिन खास पंरपरा में शामिल हैं. लोग आर्टीफीशिल या फर्न के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाते हैं. इसमें लगी रंगीन रोशनियां और उपहार जीवन में सकारात्मकता का संचार करती हैं. संत निकोलस के काल में बच्चे मोजे लटका देते थे ताकि सेंटा उसमें टॉफियां और तोहफे रख सके. आज भी कई जगहों पर ऐसा किया जाता है.
रिंगिंग बेल्स
क्रिसमस के दिन घंटी बजाने की भी परंपरा है. यह बेल सूर्य और खुशियों के लिए बजाई जाती है. मान्यता है कि घर को घंटियों से सजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है.
गिफ्ट
क्रिसमस पर लोग एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं. सेंटा क्लॉज का रूप धारण कर बच्चों का टॉफियां देते हैं. इतना ही नहीं गिफ्ट के साथ क्रिसमस कार्ड भी दिया जाता है.